गंगा नदी किनारे बने कच्चे बांध पड़े कमजोर
गंगा में आई बाढ़ के कारण पहले ही तटवर्ती इलाकों के गांव में पानी भर चुका है। इतना ही नहीं खेत भी जलमग्न हैं। इससे फसलें बर्बाद हो गई हैं।
जासं, कासगंज: गंगा नदी में पानी का स्तर भले ही रविवार को स्थिर रहा हो, लेकिन गांवों में समस्याएं बढ़ती दिखी। गंगा में पानी किनारों के साथ ही तराई के ग्रामीणों के सहयोग से बनाए गए काम चलाऊ कच्चे बांध से सटकर बह रहा है। बारिश से इस कच्चे बांध पर कटान भी होने की संभावना बढ़ गई है। कई नहरों के किनारे भी कमजोर हो गए। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
तराई के गांव के शहबाजपवुर के पास कुछ सीमेंट के पिलर रखे दिखाई पड़े। कच्चे बांध भी कमजोर दिखे, जिससे उनके टूटने की संभावना बढ़ गई है। किसान पहले ही फसल डूब जाने से बर्बाद हो गया है। बांध टूट गया तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी। पटियाली क्षेत्र में तो हालात काफी नाजुक है। यहां धीमे-धीमे कटान होने लगा है। यदि पानी की धार इसी तरह पैनी होती गई तो निश्चित ही कटान से क्षेत्र में तबाही होगी। किसान बार-बार प्रशासन से तबाह हुई फसलों के मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ठोस कदम उठाता नजर नहीं दिख रहा। इस बीच कछला पुल पर जलस्तर स्थिर हैं। ¨सचाई विभाग के मुताबिक बांधों पर अभी भी पानी का दबाव बढ़ रहा है। सोमवार को गंगा नदी में जलस्तर बढ़ सकता है। इधर, कई गांवों में गंदा पानी जमा हो गया है। बाढ़ के साथ-साथ बरसात भी दुश्वारियां बढ़ा रही है। तराई के ग्रामों में पूरी तरह दलदल जैसे हालात है।
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पानी की स्थिति
¨सचाई विभाग के मुताबिक रविवार सुबह आठ बजे तक हरिद्धार बैराज से 74 हजार, बिजनौर से 1.21 लाख और नरौरा बैराज से 1.55 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है। पिछले दिनों की अपेक्षा में रविवार को पानी बैराजों से अधिक छूटा है।
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बारिश ने भी बढ़ाई मुसीबत
रविवार को ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहर को रुक-रुककर बरसात होती रही। बारिश होने से किसान गदगद हैं। खेतों में धान की रोपाई का कार्य तेजी से हो रहा है। इधर मुख्यालय पर बारिश नहीं हुई, जिससे उमस भरी गर्मी में लोग परेशान रहे। जबकि इसके इतर कई गांव में दलदल के हालात रहे। और बढ़ेगा पानी
गंगा नदी में पानी और बढ़ेगा। तराई के ग्रामीणों को अभी खतरा नहीं है। जिले में पूर्व में चार लाख क्यूसेक पानी पास हो चुका है।
- एके ¨सह, सहायक अभियंता, ¨सचाई