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सिमट रही गंगा, बढ़ रहा रोगों का खतरा

किसानों ने बाढ़ का खतरा टलने से राहत की सांस ली है। लेकिन उनके सामने बीमारी का खतरा मडराने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 12:10 AM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 12:10 AM (IST)
सिमट रही गंगा, बढ़ रहा रोगों का खतरा

जागरण संवाददाता, कासगंज: वैसे तो गंगा का जलस्तर कम होने से किसानों ने राहत की सांस ली है,लेकिन अब तराई में रोग फैलने की आशंका बढ़ गई है। क्योंकि सिमटती गंगा गंदगी को जन्म दे गई और यह गंदगी संक्रामक रोगों की जननी बनेगी। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि बीमारियों से निपटने के लिए तैयारियां की हैं। डॉक्टरों की एक विशेष टीम बनाई गई है।

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पिछले कई दिनों से पहाड़ी और मैदानी इलाकों में हो रही बरसात हो रही थी। जिससे गंगा का जलस्तर बढ़ गया था। बैराजों से छोड़े जा रहे पानी ने गंगा में उफान ला दिया। जिससे धीमे धीमे गंगा का पानी गांव की ओर बढने लगा। इससे ग्रामीण भयभीत हो गए। कई इलाकों में तो फसलें जलमग्न हो गई। ऐसे में ग्रामीणों की ¨चताएं ही नहीं बढ़ गई, बल्कि ¨सचाई विभाग भी गंभीर दिखाई दिया। डीएम आरपी ¨सह दिन में तीन बार पानी के स्तर की जानकारी कर रहे थे। बैराजों से लेकर ¨सचाई विभाग के अधिकारी एक दूसरे से संपर्क में थे। मैदानी इलाकों में तो अभी भी बरसात है, लेकिन पहाड़ों पर बरसात कुछ कम हुई है। इसके बाद पानी का दवाब भी कम होने लगा है। जिससे कछला नदी अब सिमटने लगी है। पिछले तीन दिनों से हर रोज गंगा का जलस्तर गिर रहा है। यह जरूर है कि सिमटती गंगा किसानों के लिए भले ही राहत का संकेत दे रही हो, लेकिन ग्रामीणों की अभी भी मुसीबत बढ़ सकती हैं, क्योंकि गंगा का पानी गांव के आसपास दलदल के हालात बना गया है। इस दलदल में गंदगी होगी और धूप निकली तो निश्चित ही तमाम बीमारियां फैलेंगी। उफनती गंगा को लेकर ¨सचाई विभाग अलर्ट था तो अब सिमटती गंगा पर स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। सीएमओ ने बीमारी नियंत्रण को बाढ़ क्षेत्र के लिए एक टीम बना दी है। जो तराई के ग्रामों में निगरानी रखेगी। इसके अलावा तराई क्षेत्र से जुड़े सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी एक एक टीम बनाई गई है। बीमारियों की जानकारी मिलने पर टीमें सीधे गांव पहुंचेंगी और यहां निश्शुल्क दवा वितरण करेंगीं।

हरे चारे की हुई दिक्कत

गंगा का पानी सिमटकर भले ही गांव से नीचे खिसक गया हो, लेकिन खेतों में जो पानी भर गया वह अभी सूखा नहीं है। ऐसे में पशुओं के लिए हरे चारे की दिक्कत हो गई है। किसान पशुओं के लिए सूखा चारा खिला रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं खेतों से पानी बाहर निकलने का। पानी निकलते ही पशुओं को हरा चारा मिल सकेगा।

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पानी का डिस्चार्ज

गंगा नदी में बैराजों से पानी छोड़ा जा रहा है। रविवार सुबह हरिद्वार से 52 हजार, बिजनौर से 54 हजार और नरौरा बैराज से 85 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। कछला नदी पर पानी 163.5 मीटर गेज है। यहां 15 सेंटीमीटर पानी गिरा है। शनिवार को कछला का जलस्तर163.20 मीटर था। बनाई है टीम-

बाढ़ क्षेत्र में निगरानी रखने को चिकित्सकों की टीम बनाई गई है। फिलहाल कहीं से रोग फैलने की कोई जानकारी नहीं मिली है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में बीमारियां। फैलती है तो चिकित्सकों की टीम उपचार के लिए पहुंचेगी।

-नरेंद्र कुमार, सीएमओ।

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गिर रहा जलस्तर

बैराजों से पानी कम होने के कारण जल स्तर गिर रहा है। बाढ़ का खतरा पूरी तरह टल गया है। तब भी गंगा नदी पर पूरी निगरानी की जा रही है। - एके ¨सह, सहायक अभियंता ¨सचाई विभाग।

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बरसते रहे रिमझिम बदरा-

रविवार को बदरा बरसते रहे, हालांकि इन्होंने अपनी चाल में तेजी नहीं पकड़ी, बल्कि रिमझिम बरसात होती रही। मौसम सुहाना रहा तो सूर्य देव ने भी दर्शन नहीं दिए। हालांकि इस तरह की बरसात से दलदल के हालात बने रहना स्वाभाविक है। क्योंकि धीमे- धीमे कई जगहों पर कीचड़ दलदल में बदल रहा है।


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