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उफान पर गंगा, बाढ़ से गांव बचाने को काटी सड़क

जागरण संवाददाता, कासगंज: बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से गंगा अब उफान लेने लगी है। इससे जिले के कई तटवर्ती गांव बाढ़ की चपेट में हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 12:07 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 12:07 AM (IST)
उफान पर गंगा, बाढ़ से गांव बचाने को काटी सड़क
उफान पर गंगा, बाढ़ से गांव बचाने को काटी सड़क

जागरण संवाददाता, कासगंज: बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से गंगा अब उफान लेने लगी है। बाढ़ का पानी भी गांव में घुसने को आतुर है तो ग्रामीणों ने भी गांव में पानी के प्रवेश को रोकने के लिए सड़क काट डाली और पानी का रूख दूसरी ओर मोड़ दिया। गंगा का रुख देखकर अब ग्रामीणों में दहशत का आलम बनने लगा है। ग्रामीण अब सुरक्षित ठिकानों की ओर जाने को तैयार होने लगे हैं।

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पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश से गुरुवार को हरिद्वार से 51692 और बिजनौर बैराज से 1.02 लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज किया गया, जबकि नरोरा बैराज से 1.79 लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हुआ। गुरुवार को कछला पुल पर पानी का गेज 163. 70 पर था जबकि बुधवार को हरिद्वार से 54 हजार क्यूसेक, बिजनौर से 1.23 लाख और नरोरा बैराज से 1.69 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हुआ। बुधवार को कछला पुल पर पानी का गेज 163.65 था। बीते चार दिनों में इस पुल पर पानी का गेज करीबन 40 सेंटीमीटर से बढ़ा है। गंगा में पानी का उफान आने के कारण तटवर्ती इलाकों में भय का माहौल बनने लगा है तो ग्रामीण भी सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने की तैयारी में बैठे हैं। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों ने भी तटवर्ती गांव का जायजा लेकर व्यवस्था को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए।

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सड़क काट मोड़ दिया पानी का बहाव

सहावर: बाढ़ से गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों ने सड़क काटकर पानी का बहाव दूसरी ओर मोड़ दिया। सहवाजपुर-सुन्नगढ़ी मार्ग पर ग्राम अजीत नगर के समीप गंगा के पानी का रौद्र रूप बढ़ते देख ग्रामीणों ने सड़क को काट दिया और पानी के बहाव का दूसरी तरफ रुख कर दिया है। इससे गांव तो बच गया पर आने-जाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बच्चों को पानी में से निकलकर स्कूल जाना पड़ रहा है। बमनपुरा, उलाई, उलीपुर, सहबाजपुर, नगला ढाल, किसौल, किलौनी, छितेरा आदि गांव भी बाढ़ से प्रभावित हैं।

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बाढ़ पीड़ितों का श्मशान घाट पर बसेरा-

पटियाली: गंगा में आई बाढ़ से तटवासियों का जीवन नारकीय हो गया है। नरदोली ग्राम सभा के मजरा नगला हंसी जाटवान के एक दर्जन से अधिक वा¨शदों ने गांव छोड़कर पालतू पशुओं सहित श्मशान की भूमि पर अस्थाई आशियाने बना लिए हैं। इनमें शिकारी और भूरे , शिवपाल, राजपाल , राम¨सह, राजपाल पुत्र दुरवींन ¨सह, हरवीर, जवाहर, राम¨सह, दयाराम , राजबहादुर, राजभान और ब्रजेश , सूरजपाल पुत्र नैनसुख, छविराम पुत्र सूरजपाल, राजवीर और नीतेश, ¨रकी पत्नी लल्लूराम, विशनो देवी पत्नी चक्रपाल, भगवान स्वरूप , भीकम ,नेत्रपाल ,खुशीराम आदि प्रमुख हैं। इन परिवारों को तहसील प्रशासन की ओर से तिरपाल वितरित किए गए।


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