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वेस्ट--कासगंज: जिसकी रक्षा को घर छोड़ा वहीं पहचान को तरसे- फोटो

सिख धर्म के अनुयायी, मगर नहीं माना जाता अल्पसंख्यक - न पिछडे़ वर्ग में, न एससी वर्ग में।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 11:41 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 11:41 PM (IST)
वेस्ट--कासगंज: जिसकी रक्षा को घर छोड़ा वहीं पहचान को तरसे- फोटो

- सिख धर्म के अनुयायी, मगर नहीं माना जाता अल्पसंख्यक

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- न पिछडे़ वर्ग में, न एससी वर्ग में, सरकारी योजनाओं से भी वंचित - 1500 कुल आबादी है समाज के लोगों की

- 200 के लगभग हैं वर्तमान में कालोनी में घर

- 02 शताब्दी से अधिक समय से बसे हुए हैं यह लोग

- 80 फीसद महिलाएं एवं किशोरियां अनपढ़ हैं श्री भगवान पाराशर, सोरों (कासगंज): जिस देश और संस्कृति की रक्षा के लिए घर छोड़ा, आज उसी देश में पहचान के लिए जूझना पड़ रहा है। न तो जाति प्रमाण पत्र मिलते हैं और न ही अन्य कोई सरकारी योजनाओं का लाभ। यह दर्द है यहां बसे रमैया जाति के लोगों का।

मुगलों ने हमला बोला तो पूर्वजों ने इस्लाम अपनाने के बजाय राजस्थान छोड़ दिया। गुरु गो¨वद ¨सह की शरण में पहुंच गए। तभी से खानाबदोश जीवन व्यतीत कर रहे हैं। सोरों का बदरिया मुहल्ला इनके नाम से ही जाना जाता है। कइयों ने पक्के मकान बनवा लिए हैं। घर के पुरुष जड़ी बूटी एवं औषधि बेचने के लिए दूर शहरों की दौड़ लगाते हैं। खुद को सिख मानते हैं। कई लोग पगड़ी भी बांधते हैं। गुरुद्वारा भी जाते हैं। हालांकि इन्हें अल्पसंख्यक नहीं माना जाता। मात्र कुछ फीसद लोग ही पढ़े-लिखे हैं। दिल्ली में नौकरी कर रहे उत्तम बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान सबको वजीफा मिला। कई बार प्रयास किए लेकिन तहसील से जाति प्रमाण पत्र ही नहीं मिला। रमैया समाज के लोगों के बीच में काम कर रहे दुलार सेव द प्लेनेट संस्था के मनोज शर्मा बताते हैं कि इन लोगों में शिक्षा का अभाव है।

रमैया जाति के धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि हमारे पुरखों ने इस्लाम नहीं अपनाया। लगता है कि उसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है। हम पगड़ी पहनते हैं। गुरुद्वारा जाते हैं, लेकिन हमें अल्पसंख्यक का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है। वहीं दशरथ सिंह का कहना है कि कई बार प्रयास किए, लेकिन जाति का प्रमाण पत्र तहसील से जारी नहीं होता। हालांकि मतदाता पहचान पत्र बने हैं और हम मताधिकार का प्रयोग भी कर रहे हैं। सरकारी योजनाएं भी दूर की कौड़ी

बदरिया में महिलाओं का कहना है कि उज्ज्वला में सिलेंडर नहीं मिला और न ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ। अन्य जिलों में फैली रमैया जाति

सोरों के अलावा बरेली, फरीदपुर, बलिया, बिजनौर, सहानपुर एवं गुड़गांव में रमैया जाति के परिवार रह रहे हैं।

'शासनादेश के अनुसार पिछड़ी एवं अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र बनते हैं। समाज कल्याण विभाग इन जातियों का निर्धारण करता है'।

-एसके ¨सह

एसडीएम सदर


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