गंगा को मैली करने में पीछे नहीं श्रद्धालु
गंगा नदी को इसमें स्नान करने वाले ही मैली करते हैं।
जागरण संवाददाता, कासगंज: आस्था और करोड़ों परिवारों के लिए जीवनदायिनी गंगा को मैला करने में श्रद्धालुओं का भी खास योगदान है। श्रद्धा के नाम पर गंगा में तमाम गंदगी के कारक प्रवाहित करने वाले श्रद्धालु भी गंगा के किनारों पर तमाम खंडित देव प्रतिमाएं रख जाते हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी से भी गंगा मैली होती रहती है।
मोक्षदायिनी गंगा नदी का एक बड़ा दायरा जिले से होकर गुजरता है। गंगा यहां के किनारों से 77 किमी का सफर कर आगे बढ़ती है। जिले में गंगा भले ही उद्योग-कारखानों से प्रदूषित नहीं होती है, लेकिन श्रद्धा के नाम पर खूब गंदी की जाती है। पूजा के सामान के अलावा कपड़े, पॉलीथिन किनारों पर छोड़ी जाती है तो वाहन भी धोएं जाते हैं। यह कारक भी गंगा को गंदा करते हैं तो जिम्मेदारों की अनदेखी भी गंगा को जख्म देती हैं।
जिला के लहरा घाट के अलावा कादरगंज और कछला घाट पर गंगा स्नान होता है। अमावस्या और पूíणमा पर स्नान को तो हजारों श्रद्धालु स्नान को उमड़ते हैं तो सावन और महाशिवरात्रि पर भी श्रद्धा का अतिरेक भी यहां दिखता है। आस्था के अलावा गंगा करोड़ों परिवारों के लिए जीवनदायिनी से कम नही हैं, लेकिन धाíमक नदी को गंदा करने में तो श्रद्धालु यहां भी अव्वल ही दिखते हैं। अमावस्या और पूíणमा पर गंगा किनारे स्नान के बाद उतारे गए वस्त्रों को श्रद्धालु किनारों पर त्याग जाते हैं, जो बाद में जल में प्रवाहित हो जाती है।
गंगा स्नान को आने वाले श्रद्धालु पूजा के लिए लाई सामग्री के साथ पॉलीथिन को भी गंगा में प्रवाहित करने से नहीं चूकते हैं। वहीं तमाम श्रद्धालु अपने वाहनों को गंगा में खड़ा कर धोते है। लहरा घाट पर तो तमाम गंदगी को जलाने से भी परहेज नहीं किया जाता है।
जिम्मेदारों की अनदेखी:
गंगा को श्रद्धालुओं की गंदगी से बचाने के लिए यहां जिम्मेदार उदासीन दिखते हैं। पर्व और त्योहारों पर छोड़ी गई गंदगी गंगा के किनारों पर कई दिनों तक ऐसे ही पड़ी रहती है, जो हवा के साथ गंगा जल में प्रवाहित होती रहती हैं।
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गंगा की वर्तमान हालत के लिए सरकार और जिम्मेदारों की अनदेखी भी दोषी हैं। वैसे गंदगी के लिए गंगा के सहारे जीवन यापन करने वाले भी कम दोषी नहीं हैं। गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए सभी को इससे जुड़ना होगा। । डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, संयोजक गंगा समिति।