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पितरों को तर्पण और पिडदान कर किया विदा

पितृ विसर्जनी अमावस्या बुधवार को गंगा घाटों पर स्नानार्थियों का मेला लगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 03:47 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 03:47 AM (IST)
पितरों को तर्पण और पिडदान कर किया विदा

संवाद सहयोगी, कासगंज : पितृ विसर्जनी अमावस्या बुधवार को गंगा घाटों पर स्नानार्थियों का मेला लगा। लोगों ने गंगा स्नान कर पितरों का तर्पण किया। पिडदान कर विदा किया। श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर भूले बिसरे एवं पूर्वजों का श्राद्ध किया। सुबह से लेकर देर शाम तक गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। गंगा घाट हर-हर गंगे के स्वर से गूंजे।

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पितृ अमावस्या की पूर्व संध्या मंगलवार से ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। सोरों की हरिपदी गंगा, लहरा गंगा घाट, कछला गंगा नदी एवं पटियाली के कादरगंज गंगा घाट पर श्रद्धालु पहुंच गए थे। राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के श्रद्धालुओं का मेला लगना शुरू हो गया था। पितृ अमावस्या की सुबह को श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। गंगा मां का पूजन कर पितरों का तर्पण किया। विधि-विधान पूर्वक तीर्थ पुरोहितों ने पिडदान कराए। लोगों ने पूर्वजों से माफी मांग उनका आशीर्वाद लिया और विदा किया। घाटों पर मेले जैसा दृश्य था। पूजा सामग्री बेचने वालों की दुकानों पर भीड़ लगी थी। तमाम श्रद्धालुओं ने गंगा का दुग्धाभिषेक किया। कुष्ठ रोगियों एवं जरूरतमंदों को दान दिया। ब्राह्मणों को भोजन कराया।

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हरिपदी पर तर्पण के लिए करना पड़ा घंटों इंतजार

सोरों की हरिपदी गंगा पर तर्पण एवं पिडदान करने वालों की इस कदर भीड़ थी कि लोगों को पुरोहितों से अनुष्ठान कराने के लिए दो-दो घंटे इंतजार करना पड़ा। देर शाम तक तर्पण और पिडदान का सिलसिला चलता रहा।

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घरों में भी जिमाए गए ब्राह्मण

मान्यता है कि पितर अमावस्या पर ज्ञात, अज्ञात पितरों के अलावा ऐसे पितृ जिनकी तिथि याद नहीं रहती है, स्वजन भूल जाते हैं। ऐसे पितरों का श्राद्ध भी पितृ अमावस्या पर किया जाता है। इसी मान्यता के चलते घरों में श्राद्ध किए गए। ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान दक्षिणा दी गई।

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