मांग और पूर्ति में अंतर ने बढ़ा दीं आलू की कीमतें
कोरोना काल में जहां अन्य सब्जियों की कीमतें नीचे आ गिरी थीं वही
कासगंज, जागरण संवाददाता : कोरोना काल में जहां अन्य सब्जियों की कीमतें नीचे आ गिरी थीं, वहीं आलू की कीमतें बढ़कर स्थिर हो गईं। लेकिन अनलाक में इनकी कीमतों में इजाफा हो गया। नवरात्र में आलू के भाव और बढ़ गए। मांग और पूर्ति में अंतर आने से आलू की कीमतें बढ़ती ही जा रही हैं।
बीते वर्ष आलू का उत्पादन कम हुआ था। जिले के कोल्ड स्टोर में भी क्षमता से मात्र चालीस फीसद ही भंडारण हो सका था। कोरोना काल में जब भारी मजदूर पलायन कर जिले में आए तो आलू की मांग भी बढ़ गई। कम उत्पादन और मांग बढ़ जाने से इसकी कीमतें बढ़ गई। गत मार्च में आलू 20 रुपये किलो बिक रहा था। जो अप्रैल में 30 रुपये पहुंच गई। सितंबर तक आलू की कीमतें स्थिर बनी रहीं, लेकिन अक्टूबर माह में फिर आलू के भाव बढ़े और नवरात्र में इनकी कीमतों ने आसमान छू लिया। 30 से 35 किलो बिकने वाला आलू 45 से 50 रुपये तक जा पहुंचा है। आंकड़ों की नजर में
- जिले में कुल शीतगृह : 14
- शीतगृहों की भंडारण क्षमता : 18 लाख बोरी
- बीते वर्ष हुआ भंडारण : साढ़े सात लाख बोरी
- शीतगृहों में बचा आलू का भंडारण : 60 से 65 हजार बोरी
- कोल्ड का वर्तमान भाव : 36 सौ रुपये क्विटल
- आलू का थोक मंडी भाव , खर्चे सहित : चार हजार प्रति क्विटल
- फुटकर भाव : 45 से 50 रुपये प्रति किलो
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आलू का उत्पादन बीते वर्ष बहुत कम रहा। जिले में भंडारण भी 40 से 45 फीसद रहा। कोरोना काल में परदेशियों के लौटने पर इसकी मांग बढ़ गई। मांग और पूर्ति के अंतर से कीमतें बढ़ी हैं। - मुकेश शर्मा, कोल्ड कारोबारी
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31 अक्टूबर तक शासन ने कोल्ड स्टोर से आलू निकालने के लिए निर्देश दिए हैं। इससे समस्या का समाधान नहीं होगा। यदि एक साथ कोल्ड से आलू निकल आया तो आने वाले दिनों में बाजार में आलू दिखाई नहीं देगा।
- नरेश, थोक आलू कारोबारी