बढ़े हाथ तो साफ हो गए गंगा किनारे
कहीं पॉलीथिन बिखरी पड़ी थी तो किनारों पर निष्प्रयोज्य सामग्री फैली हुई थी। दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद नगर पालिका जागी और अपने सफाई कर्मचारी भेजे। इसके बाद घाट साफ हो गये।
जागरण संवाददाता, सोरों: कहीं पॉलीथिन बिखरी पड़ी थी तो किनारों पर निष्प्रयोच्य सामग्री फैली हुई थी। किनारों पर तमाम कपड़े और बेकार सामान पड़ा था। ऐसी गंदगी से मन खराब हो रहा था तो श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही थी। जागरूकता के अभाव में गंगा के किनारे बिखरी गंदगी हवा के साथ पानी में समाहित हो रही थी।
सोरों के लहरा घाट पर त्योहार और पर्व पर गंगा स्नान का पौराणिक महत्व है। बदलते परिवेश में आज भले ही श्रद्धालु बदायूं के कछला घाट की ओर दौड़ लगा रहे हों, लेकिन शांत, निर्मल, स्वच्छ गंगा का पानी लहरा पर ही है। गंगा के इस लहरा घाट जागरूकता के अभाव में श्रद्धालु गंदगी फैलाते हैं। कोई अपने कपड़े नहाने के बाद गंदगी जल में डाल जाता है तो कोई पूजा के नाम पर पॉलिथीन में दूध और फूल मालाएं और अन्य सामग्री प्रवाहित कर जाता है। श्रद्धालुओं की इस गंदगी को गंगा में प्रवाहित होने से रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। यदा कदा नगरपालिका ही पर्व पर स्नान के बाद दूसरे- चौथे दिन कर्मचारियों को भेजकर इस गंदगी को साफ करा देती है।
शुक्रवार को लहरा घाट पर गंदगी होने का समाचार जागरण में प्रकाशित हुआ तो नगर पालिका ने अपने सफाई कर्मचारियों को किनारों पर भेज दिया। सुबह से ही गंगा किनारे स्वच्छता दिखाई देने लगी। कर्मचारियों ने श्रद्धालुओं द्वारा छोड़ी गई गंदगी के अलावा स्थानीय दुकानदारों के प्लास्टिक कप आदि सामग्री एकत्र कर गंगा के किनारों से दूर फिंकवाया। राजस्थान के चूरु से आए कुंदनलाल का कहना है कि नगर पालिका और प्रशासन को इस घाट पर व्यवस्थाएं करनी चाहिए। श्रद्धालुओं को जागरूक करना चाहिए, जिससे वह गंदगी नहीं फेंक सकें। दौसा से आई शांति देवी का कहना था कि गंगा किनारे पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री साल में आते हैं। इस घाट पर महिलाओं के वस्त्र बदलने की कोई व्यवस्था नहीं है, वस्त्र बदलने के दौरान महिलाओं को शर्मसार होना पड़ता है। प्रशासन और नगर पालिका को यहां महिलाओं के वस्त्र बदलने का इंतजाम करवाना चाहिए।