केंद्र के फर्जीवाड़े पर पहले दिन से आंखे मूंदे थीं बैंक
भिटौना के लिए था स्वीकृत ढाई किमी दूर गोहरा पर संचालित एक वर्ष से आ रही शिकायतों को दबाए हुए था बैंक प्रशासन
कासगंज, जागरण संवाददाता : गोहरा नहर पर संचालित ओरियल कंपनी द्वारा संचालित एडीबी एसबीआइ सोरों गेट के ग्राहक सेवा केंद्र को बैंक अधिकारियों के साथ कंपनी अधिकारियों का भी पूरा संरक्षण था। उक्त केंद्र भिटौना के नाम से स्वीकृत था, लेकिन पहले दिन से ही गोहरा में संचालित हो रहा था। बैंक में आम उपभोक्ता द्वारा सौ रुपये निकासी पर भी एक-एक अभिलेख की जांच करने वाले बैंक अधिकारियों ने लाखों के लेन-देन वाले केंद्र के आवंटित स्थल से दूर संचालन पर चुप्पी साधे रखी।
ग्राहक सेवा केंद्र का संचालक गरीब, मजदूरों एवं किसानों के लाखों रुपये लेकर फरार बताया जा रहा है। दो वर्ष से उपभोक्ता परेशान हैं, लेकिन बैंक प्रशासन एवं कंपनी अधिकारियों की चुप्पी बता रही है इस पूरे मामले में कहीं न कहीं इनकी भी संलिप्तता रही है। बैंक जिम्मेदारी ओरियल कंपनी की बता रही है। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा है आखिर उक्त केंद्र को जिस स्थान पर आवंटित किया गया था, वहां पर संचालित न होने पर कभी कंपनी अधिकारियों ने आपत्ति क्यों नहीं लगाई। इधर एक और खुलासा हुआ है कि सेवा केंद्र के शिकार हुए ग्रामीण एक वर्ष से भाग रहे हैं। लीड बैंक तक इन्होंने अपनी फरियाद लगाई। हर बार इनके मामलों को लीड बैंक ने एसबीआइ रेफर किया, लेकिन इसके बाद भी एसबीआइ के बैंक अधिकारियों ने अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। केंद्र से लेन-देन बंद करने के लिए बैंक को सार्वजनिक नोटिस जारी कराना चाहिए था, लेकिन बैंक प्रशासन इन मामलों को दबाए रहा।
आखिर कैसे निकलते गए रुपये :
ग्रामीणों की मानें तो आखिर उनके खाते से दूसरे व्यक्ति ने रुपये कैसे निकाले। जबकि अंगूठा उनका लगता है। बैंक प्रशासन के पास इसका भी जवाब नहीं है। अगर अंगूठा निशानी में केंद्र संचालक ने हेरा-फेरी की थी तो सवाल यह भी खड़ा है एक ही अंगूठा निशानी के कई खाते होने पर भी बैंक प्रशासन का ध्यान क्यों नहीं गया। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग ग्रामीणों द्वारा उठाई जा रही है।
दर्जनों गांवों के किसानों के लाखों रुपये निकाले :अभी तक कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं आ सका है, लेकिन बताया जाता है इस केंद्र पर हजारों की संख्या में खाते थे। इनमें से कुछ के खातों में तीन से चार हजार रुपये थे तो कुछ के खातों में 50 हजार रुपये तक। कईयों के खातों में लाखों रुपये थे। अगर इसकी जांच की जाए तो करीब घोटाले की धनराशि 50 लाख से ऊपर जा सकती है।