जाने का समय मेरा उसे क्यों उठाया भगवान
संवाद सहयोगी भोगनीपुर जाने का समय तो मेरा थ
संवाद सहयोगी, भोगनीपुर : जाने का समय तो मेरा था आखिर हमने क्या किसी का बिगाड़ा जो भगवान ने मेरे प्यारे बच्चे को भरी जवानी में बुला लिया। घर के बाहर बार बार अपना माथा पीट पीटकर रोते हुए बृजेश के बाबा सोनेलाल भगवान को कोस रहे थे कि क्या बुढ़ापे में यही दिन दिखाने के लिए जिदा रखा था।
बृजेश अपने बाबा को बहुत प्यार करता था, घर का छोटा होने के कारण उनसे हंसी ठिठौली भी खूब करता था। बाबा भी उसका कभी बुरा नहीं मानते थे जब भी घर आता तो बाबा के हाथ पैर जरूर दबाकर सेवा करता था। लेकिन अब बृजेश कभी नहीं आएगा यह जानकर सोनेलाल दहाड़े मार रोने लगे। लोग उन्हें समझाते तो केवल यह ही बोलते कि उस बच्चे ने अभी दुनिया ही कहां देखी थी जाने का समय तो मेरा था, मुझे मौत आनी चाहिए थी। यह ऊपर वाले ने हमारे परिवार के साथ बहुत ही गलत किया है जिदगी भर यह गम साथ रहेगा।