जिसकी हत्या में जेल काटी, वो तो मुंबई में नौकरी कर रहा था
संवाद सहयोगी रसूलाबाद (कानपुर देहात) कोरोना भले ही दुनिया के लिए मुसीबत बना है लेकिन मुनौ
संवाद सहयोगी, रसूलाबाद (कानपुर देहात) : कोरोना भले ही दुनिया के लिए मुसीबत बना है लेकिन मुनौरापुर निवासी सुनील कुमार और फरारी काट रहे उसके भाइयों के लिए राहत का पैगाम लाया है। पड़ोसी ने रंजिश में जिस पुत्र के अपहरण व हत्या का आरोप लगाकर सुनील को जेल भिजवाया वह तो जिंदा निकला। वह मुंबई में नौकरी करके घर वालों को रुपये भी भेज रहा था। संकट के समय लौटा तो पोल खुल गई। इस मामले में युवक के घर वालों के साथ रसूलाबाद पुलिस भी उतनी ही गुनहगार है जिसने जेल भेजने में तत्परता दिखाई लेकिन हकीकत जानने की कोशिश नहीं की। फिलहाल मुंबई से लौटा युवक स्नेहलता डिग्री कालेज में क्वारंटाइन है और पुलिस मामले में लीपापोती में जुटी है।
मुनौरापुर निवासी सुनील की पड़ोसी रामजीवन कठेरिया से रंजिश है। साल 2016 में रामजीवन ने अपने 16 वर्षीय बेटे गोविद के अपहरण व हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें सुनील, उनके भाई दीपू, मानसिंह व रीतू नामजद किए गए थे। भाई तो फरार हो गए लेकिन सुनील जेल भेज दिया गया। अगस्त 2018 में जमानत पर छूटा। मुकदमा अब भी विचाराधीन है। इधर गुरुवार को गोविंद सही सलामत मुंबई से ट्रेन से लौट आया। उसने डायल-112 को सूचना दी तो पुलिस ने उसे स्नेहलता डिग्री कालेज में क्वारंटाइन किया। गोविद से बात की गई तो उसने बताया कि वह दोस्त दीपू के साथ दिल्ली काम के लिए गया था। वहां से कानपुर लौटने में वह गलत ट्रेन से मुंबई पहुंच गया। वहां चन्नी रोड में एक कैटरर के पास काम करने लगा। इसकी सूचना घर वालों को दी और रुपये भी भेजता रहा लेकिन घरवालों ने पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी।
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उस गुनाह की सजा पाई जो किया नहीं
सुनील ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण दो साल बाद जमानत मिल पाई। इन दो सालों में पत्नी रानी, बच्चे शुभी, प्रियंका, हर्षित व अमित बहुत परेशान हुए। भाई अब तक फरार ही चल रहे हैं। उन्हें उस जुर्म की सजा मिली जो किया ही नहीं था। गनीमत रही कि अदालत ने कुर्की न करने का आदेश कर दिया था वरना परिवार संकट में पड़ जाता।
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मामला संज्ञान में नहीं है। इसे पता करवाएंगे। इसमें पुलिस या पड़ोसी जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
अनुराग वत्स, एसपी