लापरवाह विभाग तीन माह बाद भी नहीं बदल सका ट्रांसफार्मर
- कनेक्शन होने के बाद भी ग्रामीणों को नहीं मिल सकी आपूर्ति - अंधेरे में रहने को मजबूर 2
- कनेक्शन होने के बाद भी ग्रामीणों को नहीं मिल सकी आपूर्ति
- अंधेरे में रहने को मजबूर 250 परिवार
संवाद सहयोगी, सिकंदरा : क्षेत्र के सिलहरा गांव के वाशिदों को विद्युत आपूर्ति देने वाला ट्रांसफार्मर तीन माह पूर्व खराब हो गया था। ग्रामीणों ने समस्या को लेकर कर्मचारियों व अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन लापरवाह विभाग अब तक ट्रांसफार्मर को नहीं बदल सका है। इससे ग्रामीणों को पेयजल समस्या के साथ ही उमस भरी गर्मी से जूझना पड़ रहा है।
विद्युत सब स्टेशन जैनपुर से जुड़े सिलहरा गांव में लगे 100 केवीए के ट्रांसफार्मर से करीब 250 परिवारों को विद्युत आपूर्ति दी जाती है। मई में गांव को आपूर्ति देने वाला ट्रांसफार्मर खराब हो गया था। ग्रामीणों ने लाइनमैन के साथ ही अन्य कर्मियों को सूचना दी, लेकिन निस्तारण नहीं हो सका। माह बाद भी ट्रांसफार्मर न बदले जाने पर विभागीय अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन विद्युत विभाग के लचर कार्यशैली के कारण तीन माह बाद भी ट्रांसफार्मर को नहीं बदला गया। इससे ग्रामीणों को पेयजल किल्लत से तो जूझना ही पड़ रहा है जबकि भीषण गर्मी के तीन माह बिना बिजली के काटने पड़े। इससे बच्चों को पढ़ाई सहित अन्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जैनपुर विद्युत सब स्टेशन के जेई प्रवीण कुमार मिश्रा ने बताया खराब ट्रांसफार्मर बदले जाने के लिए पेपर तैयार किए जा रहे हैं। शीघ्र खराब विद्युत ट्रांसफार्मर को बदलाने के साथ ही बिजली व्यवस्था बहाल कराई जाएगी। घर व मोहल्ले में बिजली के सभी उपकरण हैं, लेकिन आपूर्ति न आने के कारण शोपीस बनकर रह गए हैं। अब ट्रांसफार्मर बदले जाने की उम्मीद ही समाप्त हो गई है।
वीर सिंह ग्रामीणों की समस्याओं को जान बूझकर विभागीय कर्मी नजरंदाज कर रहे हैं। तीन माह का लंबा समय गुजरने के बाद भी अब तक ट्रांसफार्मर न बदला जाना विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न उठा रहा है।
उर्मिला देवी कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक सभी से शिकायत की गई। समस्या के बारे में अवगत कराया गया, लेकिन इसके बाद भी निस्तारण नहीं हो सका। इससे बच्चों की पढ़ाई सहित अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
श्रीप्रकाश कनेक्शन होने के बाद भी ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। समय से बिल की अदायगी भी की जाती है। कर्मचारी ही नहीं बल्कि अधिकारी तक लापरवाही बरत रहे हैं।
गिरजेश विश्नोई