यहां 'अग्निपथ' पर चलकर बुझानी पड़ती प्यास
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जल ही जीवन है। इस अवधारणा को आत्मसात करते हुए पूर्वजो
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात :
जल ही जीवन है। इस अवधारणा को आत्मसात करते हुए पूर्वजों ने जलसंरक्षण के स्त्रोत कुएं, तालाब तैयार कर पानी को संरक्षित करने की योजना बनाई थी। मगर, अनदेखी के चलते जल संरक्षण के ये स्त्रोत दुर्दशा का शिकार होकर अस्तित्व खोते जा रहे हैं। जल संचयन की अनदेखी का ही नतीजा है कि बुंदेलखंड की सीमा से जुड़े यमुना बेल्ट के गांवों में कुएं और तालाब सूखने से पानी का संकट गहराता जा रहा है। बीहड़ पट्टी के गांवों में गला तर करने के लिए अब सिर्फ यमुना का ही सहारा है। लोग तपती रेत में मीलों चलकर नदी के पानी से पानी लाते हैं।
जिले के बीहड़ पट्टी से जुड़े अमरौधा, राजपुर, मलासा, संदलपुर व डेरापुर ब्लाक में लगातार भूगर्भ जलस्तर गिर रहा है। भूजल स्तर में गिरावट से जिले के 80 फीसद कुएं सूख गए हैं। हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं। सिर्फ 20 फीसद हैंडपंप चालू हालत में हैं। दस फीसद हैंडपंपों व कुओं में कीचड़ युक्त गंदा पानी निकल रहा है। बुंदेलखंड से जुड़ी जिले की दक्षिणी सीमा के बीहड़ पट्टी के महेशपुर, बीवनपुर, बैजामऊ, अमराहट, ट्योंगा, नगीना, खरका, दमनपुर, बेहमई, खरतला, खटकर, कथरी, अनवा, अटसुन बांगर, बिछौली, दिबेर की मड़ैया व किशनुपुर, कथरी, बिलासपुर सहित यमुना के तटवर्ती दर्जनों गांवों में कुएं, तालाब व पोखर सूखने व हैडपंपों से पानी न निकलने से यमुना नदी पर ही ग्रामीण निर्भर हैं। सुबह होते ही लोग पानी के लिए यमुना की ओर भागते हैं।
इंसेट) सूख गए हैंडपंप
बीहड़ पट्टी में स्थित दो हजार आबादी वाले विलासपुर बांगर गांव के चार कुएं व सभी तालाब पूरी तरह सूख गए हैं। यहां के ग्रामीणों राम रतन, पूरन, राम औतार , सुनील आदि ने बताया कि गांव में लगे 18 हैंडपंपों में 12 रीबोर की स्थिति में हैं जबकि छह कीचड़युक्त पानी दे रहे हैं। जैसलपुर महदेवा के ग्रामीण देवेंद्र ¨सह, अशर्फीलाल क्षत्रपाल, शत्रघ्न ¨सह आदि ने बताया कि गांव के दस कुएं व सभी तालाब सूखे पडे हैं। करीब 2500 आबादी वाले इस गांव में लगे दस हैंडपंपों में सिर्फ दो-तीन ही पानी दे रहे हैं, वह भी गंदा। यही हालत बीहड़ पट्टी के 1500 आबादी वाले जरी गांव की है। ब्रजलाल, राम कली, पप्पू, नरेश, योगेश ने बताया कि गांव के पांच कुएं पूरी तरह सूख चुके हैं। 10 हैंडपंपों में सात खराब हैं। सिर्फ तीन से रुक रुककर कीचड़युक्त पानी निकल रहा है। 1500 आबादी वाले बीहड़ पट्टी के बहुचर्चित गांव बेहमई की भी यही हालत है। बाल मुकंद ¨सह,उदयवीर ¨सह आदि ने बताया कि गांव के चार कुएं पूरी तरह सूखे पड़े हैं। 18 में 12 हैंडपंप रीबोर की स्थिति में है।
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यमुना बीहड़ पट्टी के गांवों में पेयजल संकट की रिपोर्ट तलब कर समस्या निदान के प्रभावी प्रयास किए जाएंगे। जल निगम के अधिशासी अभियंता को बीहड़ पट्टी के बिगड़े हैंडपंपों को प्राथमिकता से रीबोर कराने का निर्देश दिया गया है।
- केदारनाथ ¨सह,सीडीओ - कानपुर देहात।