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प्राथमिक शिक्षा के प्रति बदलनी होगी सोच

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: लोगों को प्राथमिक स्कूलों के प्रति सोच बदलनी होगी। अभी भी बड़

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 07:55 PM (IST)
प्राथमिक शिक्षा के प्रति बदलनी होगी सोच
प्राथमिक शिक्षा के प्रति बदलनी होगी सोच

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: लोगों को प्राथमिक स्कूलों के प्रति सोच बदलनी होगी। अभी भी बड़े अधिकारी, और घरों के और लोग अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने से कतराते हैं। इसमें हम शिक्षकों का भी प्रयास होना चाहिए। पुराने ढर्रे को बदलें। शिक्षा के स्तर को इतना ऊपर ले जाएं कि लोगों की सोच बदल जाए। राज्य अध्यापक पुरस्कार वर्ष 2017 की सूची में अपना नाम दर्ज कराने वाली जिले की सहायक अध्यापिका शशि प्रभा सचान इसी मानसिकता से बच्चों को पढ़ाती हैं। वह अभिभावकों के भी लगातार संपर्क में रहते हुए उनकी राय भी लेती रहती हैं।

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राज्य अध्यापक पुरस्कार की सूची में नाम दर्ज करा कर केवल कानपुर देहात के भदेशा पूर्व माध्यमिक विद्यालय का ही नहीं बल्कि जिले के सभी गुरुजनों का मान बढ़ा दिया। स्कूल में बतौर सहायक अध्यापिका तैनात शशि प्रभा सचान ने बताया कि राज्य पुरस्कार के लिये मेरा नाम चयनित होने की जानकारी मिलने पर मुझे बड़ी खुशी की अनुभूति हो रही है। बताया कि मेरी पढ़ाने की इच्छा शुरू से ही रही है। जब मुझे सरकारी अध्यापक के तौर नौकरी नहीं मिली थी तथा मेरे पति मुंबई में नौकरी करते थे तब वहां पर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी। इसके बाद 2005 में सरकारी अध्यापक के पद पर नौकरी मिली। पहली तैनाती फतेहपुर जनपद में मिली थी। इसके बाद 2013 से कानपुर देहात के पूर्व माध्यमिक विद्यालय भदेशा में अध्यापन कार्य कर रही हूं। पढ़ाना बोझ नहीं समझती बल्कि शुरू से ही बच्चों के बीच रह कर उन्हें कुछ नये तरीके से शिक्षा देने अच्छा लगता है। अब पुरस्कार मिलने का मतलब है कि मुझे और पहले से बेहतर करने की जरूरत है। बेसिक शिक्षा अधिकारी संगीता ¨सह ने बताया कि इस बार शासन ने अध्यापन क्षेत्र में प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक दोनों के लिए ही पांच-पांच साल की छूट दी थी। पहले सहायक अध्यापक के लिए 15 साल एक ही स्कूल में पढ़ाने तथा बीस साल प्रधानाध्यापक के लिए था। इस साल बीस अगस्त को आवेदन मांगे गए थे। समय कम होने के कारण जिले से एक ही नाम चयनित होकर भेजा जा सका।


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