लोगों को बेघर कर रही बाढ़ की विभीषिका
जागरण संवाददाता कानपुर देहात जहिका डरु रहै वाही भवा अपना घर गृहस्थी गंवा चुके नय
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जहिका डरु रहै वाही भवा, अपना घर गृहस्थी, गंवा चुके नयापुरवा के महावीर को कुछ नहीं सूझ रहा। घर के बच्चे व महिलाएं ऊंचाई वाले स्थानों पर भेजकर वह एक किनारे बैठे हैं। साथ में तीन चार लोग और हैं, सभी के चेहरों पर बाढ़ की दहशत साफ झलक रही है। तभी एक युवक नाव लेकर आता है, चलौ बाबा औका लावैका है, बबुआ का लैबा सब कुछ तौ बहिगा। कहित रहै ई बार बाढ़ फिर बीते बरस ताहीं तबाही मचाई। वही भवा,। ठौर के साथ जमापूंजियौ बहिगै। अब तौ चिता है कैसे पेट भरा जाए। सेंगुर नदी का पानी गांवों को अपने पूरे आगोश में ले चुका है। चारों तरफ उठती लहरों को देख लगता है किसी नदी के बीच टापू तैयार हो गया है।
गुरुवार को करीब तीन से चार सौ लोग मुगलरोड पर उतर आए थे। इन्हें भूखे पेट में दाना और रहने का ठिकाना चाहिए था। महिलाओं की नाराजगी देख वहां मौके पर मौजूद विधायक विनोद कटियार, डीएम राकेश कुमार सिंह ने समझाया और साथ लेकर गांव पहुंचे थे। काफी लोगों को भोजन, राहत किट भी दी गई थी। पर हालात यहीं नहीं सुधरे। बांगर के साथ आढ़न, पथार, नयापुरवा में तो सैकड़ों घर ऐसे हैं जिन्हें पानी ने चारों तरफ से घेर लिया है लेकिन लोग छतों पर अभी भी जमे हैं। उनका कहना है कि सुरक्षित स्थान मिले तो वह डेरा डालें, ऐसे घर का सामान छोड़ कर कहां जाएंगे। घर में जो जमापूंजी है यदि वह चली गई तो आगे का गुजारा कैसे होगा। यह दुविधा इन लोगों के सामने सबसे बड़ी है। भोगनीपुर तहसील के अमरौधा ब्लॉक से जुड़े क्योंटरा, रमपुरा, दिबैर की मड़ैया, टयोंगा, जरी, खरका गांवों में पूरी तरह पानी भर चुका है। बाढ़ के पानी से चौतरफा घिरे लोग अपने बच्चों, परिवारों को नाव का सहारा लेकर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच रहे हैं लेकिन बहुत से गांव में लोग अभी भी घर में ही हैं।
क्योंटरा के धनीराम कहते हैं, ई बार पिछली बार की तरह तबाही दिखत है,। हम सब घर छोड़ै का तो तैयार हैं पर कौनौ सही ठिकाना तौ मिलै। भोगनीपुर यमुना पुल से बाढ़ का ऐसा नजारा दिख रहा जैसे लहरें अभी उछल कर पुल से निकलने लगेंगी। बाढ़ का वेग इतना तीव्र है कि शुक्रवार को महदेवा गांव में घरों को पूरे आगोश में पानी ने ले लिया। नाव न पहुंचने से लोग घरों से ऐसे ही जान दांव पर लगा कर सुरक्षित स्थानों को जाने के लिए निकल पड़े। महदेवा गांव में 60 परिवारों की गृहस्थी डूब चुकी है। टीलों पर तंबू डालकर रहने को मजबूर ग्रामीणों में महेंद्र सिंह, नरेंद्र आदि ने बताया कि तहसील प्रशासन की टीमें गांव आती हैं लेकिन मदद के नाम पर कुछ नहीं है। ग्रामीण स्वयं प्रयास करके राशन सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।