मुर्री में मुस्लिम ने बनवाया मंदिर और कसमड़ा में हिंदू ने मस्जिद
कानपुर देहात के दो गांव मुर्री व कसमड़ा हैं। मुर्री में मुस्लिम युवक ने राधा-कृष्ण का मंदिर बनवाया है। यहां हिंदुओं के साथ मिलकर मुस्लिम भी पूजा-पाठ करते हैं।
कानपुर देहात (संजय पांडेय)। कानपुर देहात के दो गांव मुर्री व कसमड़ा हैं। मुर्री में मुस्लिम युवक ने राधा-कृष्ण का मंदिर बनवाया है। यहां हिंदुओं के साथ मिलकर मुस्लिम भी पूजा-पाठ करते हैं। कसमड़ा में हिंदू ने मस्जिद बनवायी है। यह सांप्रदायिक सौहार्द की ऐसी मिशाल है जो बिरले ही देखने को मिलती है। दोनों गांवों में हिंदू-मुस्लिम की मिश्रित आबादी है। मुर्रा के रईस ने 2015 में राधा-कृष्ण का मंदिर बनवाया था। मंदिर में अखंड रामायण पाठ के साथ-साथ भजन कीर्तन भी होते रहते हैं। इन कार्यक्रमों की व्यवस्था में गांव के मुस्लिम भी उसी तरह जैसे हिंदू जुटते हैं।
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पत्नी स्वस्थ होने पर बनवाया मंदिर
मंदिर बनवाने के पीछे की कहानी भी रोचक है। रईस का कहना है कि उसकी पत्नी पेट की गंभीर बीमारी से पीडि़त थी। डाक्टरों ने जवाब दे दिया था। वह कानपुर से लेकर लखनऊ पीजीआइ तक दिखा चुका था। हताश होकर पत्नी को कानपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहां सामने मंदिर में एक व्यक्ति राधा-कृष्ण की प्रतिमा के सामने पूजा कर रहा था। उसने उनसे पूछा कि क्या भगवान उसकी पत्नी को ठीक कर सकते हैं तो जवाब हां में मिला। रईस ने भी मन्नत मांगी। पत्नी का स्वास्थ्य ठीक हो गया तो मंदिर का निर्माण करवा दिया। ग्रामीण अजय साहू के मुताबिक, जब से इस मंदिर का निर्माण हुआ है तब से गांव का माहौल भी बदल गया है। आपसी भाई चारा बढ़ा है। रईस दंपती कृष्ण जन्माष्टमी को व्रत रखते हैं और विधिवत पूजा करते हैं।
सभी को मिले इबादत स्थल
कसमड़ा में पूर्व प्रधान मंजू देवी व उनके पति विनोद कुमार ने करीब बीस साल पहले कानपुर चमनगंज में रहने वाले साबरी से दीक्षा ली थी। विनोद ने बताया कि वह दीक्षा लेने के बाद उन्हें लगा कि गांव में मुस्लिमों के लिए इबादत स्थल नहीं है। इस पर अपनी भूमि पर जनवरी 2013 में मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू कराया। शुरुआत में कुछ लोगों ने विरोध किया, लेकिन बाद में सब ठीक हो गया। अब यहां काम लगभग पूरा होने को है। मौलाना रियाज अहमद ने बताया कि रोजाना मस्जिद में पांच वक्त की नमाज करने के लिए लोग आते हैं।