रामगंगा नहर में सिल्ट सफाई की हकीकत, 15 लाख बह गए फिर भी जमा सिल्ट!
रामगंगा नहर में सिल्ट सफाई की हकीकत 15 लाख बह गए फिर भी जमा सिल्ट!
संवाद सहयोगी, सिकदरा : इटावा से आई रामगंगा कमांड नहर जो सिकंदरा से भोगनीपुर तक 35 किलोमीटर के आस पास लंबी है। यह नहर कई रजबहों व बंबों को जोड़ती है, जिससे हजारों बीघे खेती की सिचाई होती है। यहां समय पर खोदाई सफाई कार्य न होने को लेकर किसानों में काफी नाराजगी है। बीते वर्ष भी लाखों रूपये खर्च करके खोदाई सफाई करायी गई थी इसके बाद भी इतनी जल्दी सिल्ट कैसे जमा हो गई? यह खेल समझ में नहीं आ रहा है। फिलहाल नहर में पानी नहीं है और किसान बेहाल हैं।
रामगंगा नहर में हर साल इसी माह पानी रोक दिया जाता है। इन दो माह में सिचाई विभाग सिल्ट सफाई करवाता है। यह कार्य होता हर साल है, लेकिन सिल्ट साफ होती कहीं नहीं दिखती। इस काम की हकीकत जानते सभी संबंधित अधिकारी हैं लेकिन नासमझी का नाटक होता है। यदि सिल्ट साफ हो जाती तो ऊपर तक मिट्टी की लेयर कहां से आ जाती। इस क्षेत्र में साल के अंदर कोई बहुत बहाव भी नहीं आया कि सिल्ट बहकर आ जाए। पिछले साल जिले में नहर की सफाई के लिए 15 लाख रुपये सिल्ट हटाने के खर्च हुए थे।
कैसे होगी बुआई की तैयारी
क्षेत्रीय किसानों में भाल के अमरनाथ सिंह, जैनपुर राजपुर के कमलेश सिंह, बैना के उमाकांत बाजपेई तथा अमरौधा ब्लाक के बिझौना निवासी किसान जीतेंद्र सिंह आदि का कहना है कि जब किसानों को गेहूं की बुआई के लिए पलेवा की आवश्यकता है तो इन दिनों इटावा से सिकंदरा होते भोगनीपुर तक कई रजबहे माइनरों व बंबों को जोड़ने वाली नहर सूखी पड़ी है। पानी न छोड़े जाने से चार से पांच हजार बीघे से अधिक खेती पर सिचाई संकट खड़ा हो गया है। किसानों का कहना है कि पिछले समय तो कुछ बारिश भी अधिक हुई थी लेकिन इस बार तो बारिस भी कोई खास नहीं हुई है। जेई रामसुमिरन प्रजापति ने बताया कि नहर की खोदाई सफाई के लिए ई-टेंडरिग व्यवस्था के तहत टेंडर भराए गए हैं। टेंडर पास होने के बाद ही ठेकेदारों द्वारा सफाई कार्य शुरू हो जाएगा।