रनियां के खानचंद्रपुर गांव में घुट-घुट कर दम तोड़ती जिदगी
रनियां के खानचंद्रपुर गांव में घुट-घुट कर दम तोड़ती जिदगी
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: खानचंद्रपुर गांव व उससे जुड़े मजरों में तबाही मचाते क्रोमियम के कारण यहां मकान तो दिखते हैं, लेकिन हर तरफ सन्नाटा है। अधिकांश घरों में लोग या तो शहर या कस्बा में किराये का मकान लेकर रह रहे हैं या यहां जानवरों की देखभाल करने के साथ दिन में ड्यूटी पर निकल जाते हैं। गांव में नाते रिश्तेदार भी बीमारी के डर से आने में डरते हैं। 50 साल की उर्मिला कहती हैं, अब पानी को छूने के साथ खुले में सांस लेने में भी डर लगता है। पीने के लिए पानी तो काफी समय से खरीद कर कैन लाते हैं तब बच्चों के लिए होता है। खुजली न हो जाए इस डर से कई-कई दिनों तक घरों में नहाते नहीं हैं। हैंडपंप के पाने को तो छूने में ही लोग डरते हैं। जब कभी गांव से बाहर जाने का मौका मिलता है तो बहुत खुशी होती है कि चलो कुछ दिन के लिए ही सही चैन की सांस लेकर खुल कर जीने को तो मिलता है। यहां रहते हुए जिदगी घुट-घुट कर दाम तोड़ रही है।
मुसीबतों में भी हिम्मत नहीं टूटी
भला हो कि हम लोगों का गांव हाईवे के किनारे है इससे लोग शहर व अन्य कस्बों के लिए निकल जाते हैं। आवागमन का साधन होने से समस्या इतना परेशान नहीं करती है। खानचंद्रपुर गांव के प्रधान पुत्र अरुण कहते हैं इतनी मुसीबतों के बाद भी गांव के लोग हिम्मत के साथ डटे हैं। अपने परिवार का पोषण करते हुए यहां रह भी रहे हैं। गांव के चंद्रशेखर, अशोक, प्रेम आदि 20 से 25 परिवार ऐसे भी हैं जो बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर में किराये का कमरा लेकर रहते हैं और गांव से संपर्क भी बनाए हुए हैं। गांव में रहने, काम करने आदि की कोई समस्या नहीं, दिक्कत है तो जिदगी खुल कर जीने की।