हाईवे पर बेखौफ चलता है 'हमलावर काफिला'
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : गांव की पगडंडी हो या फिर हाईवे 'हमलावर काफिला' रोज चल
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : गांव की पगडंडी हो या फिर हाईवे 'हमलावर काफिला' रोज चलता दिखाई देता है। तस्वीर में साफ दिख रहा है कि किस कदर अन्ना मवेशी कानपुर-औरैया नेशनल हाईवे पर चहलकदमी करते हैं। इतना ही नहीं कई हादसों का सबब बनने के साथ ही ये सड़क किनारे लगी दुकानों पर भी हमला कर देते हैं। दो माह के अंदर आधा दर्जन हादसों की वजह बन चुके अन्ना मवेशियों को लेकर कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है।
टोल प्लाजा केवल वसूली करना अपना फर्ज समझता है। बाकी सफर के दौरान वाहन चालक को क्या परेशानी है, उसे क्या सुविधा मिल रही हैं क्या नहीं, इसके प्रति कोई संजीदगी नहीं नजर आती। अकबरपुर नगर के अंदर हो या ओवर ब्रिज के पास हर कहीं अन्ना मवेशियों के झुंड नजर आ ही जाते हैं। नगर पंचायत भी इन मामलों में हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है।
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यहां सबसे ज्यादा दिखते हैं अन्ना मवेशी
अकबरपुर टोला प्लाजा से पहले बारा गांव के पास, रनियां कस्बा, रनियां कस्बा के आगे, रायपुर के पास। ये वह स्थान हैं जहां दिन और रात में अन्ना मवेशियों का काफिला चलता दिखाई देता है।
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दुकानों पर हल्लाबोल
रनियां कस्बा, अकबरपुर से गुजरे हाईवे किनारे दुकानें लगी रहती हैं। ठेला गाड़ी वाले दुकानदार फल, चाट, लाई-चना की दुकान लगाकर रोजी-रोटी चलाते हैं। ये अन्ना मवेशी इन्हें भी नुकसान पहुंचाते हैं।
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अब तक हुए हादसे
अकबरपुर कस्बे के आगे बारा जोड़ के पास अगस्त में बाइक सवार अन्ना मवेशी से टकराकर घायल हो गए। रनियां कस्बे में एक बाइक सवार मवेशी से टकरा कर जख्मी हो गया था। रायपुर के पास एक कार डिवाइडर पर मवेशी को बचाने के चक्कर में चढ़ गई थी। सवार बाल-बाल बच गए थे। रायपुर में ही एक रोडवेज बस मवेशी को बचाने के चक्कर में आगे ट्रक से टकरा कर डिवाइड से जा टकराई थी।
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निकायों के पास नहीं है कैटिल कैचर
नगर निकायों के पास कैटिल कैचर दस्ता न होने से समस्या है। अन्ना मवेशियों के संरक्षण के लिए कान्हा गौशाला एवं बेसहारा पशु आश्रय योजना के तहत पशु संरक्षण गृह बनाने की कार्य योजना तैयार की गई है। मवेशी के हमले में मारे गए किसानों को किसान बीमा योजना आदि से मदद का प्रावधान है।
- महेंद्र कुमार राय, सीडीओ, कानपुर देहात