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वीरों की कुर्बानी की याद दिलाता शहीद स्तंभ

संवाद सहयोगी झींझक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला धधकी तो सबलपुर गांव के रणबांकुरों

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 11:29 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 06:04 AM (IST)
वीरों की कुर्बानी की याद दिलाता शहीद स्तंभ

संवाद सहयोगी, झींझक : प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला धधकी तो सबलपुर गांव के रणबांकुरों ने अपनी वीरता दिखाई। अंग्रेजों से लड़ते हुए यहां के 13 लोग पकड़े गए थे। उन्हें नीम के पेड़ पर फांसी दे दी गई थी। शहीदों की याद में लोगों ने यहां पर शहीद स्तंभ बनाया हुआ है।

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1857 के प्रथम स्वंतत्रता संग्राम में गांव के युवकों ने पूरी वीरता से भागीदारी की थी। मई 1857 में अंग्रेज अफसर कालिन कैंपवेल की सेना से पूरी बहादुरी से लोहा लिया था। जिसमें अंग्रेजी सेना ने सबलपुर के उमराव सिंह, देवचंद्र, रत्ना राजपूत, भानू राजपूत, परमू राजपूत, केशवचंद्र, धर्मा, रमन राठौर, चंदन राजपूत, बल्देव राजपूत, खुमान सिंह, करन सिंह तथा झींझक के बाबू उर्फ खिलाड़ी नट को पकड़ लिया था। इन सभी को गांव में नीम के पेड़ पर फांसी दी गई थी। इन शहीदों की याद में लोगों ने यहां पर चबूतरा बनवा दिया। आजादी की लड़ाई का गवाह रहा नीम का पेड़ तो पुराना होकर गिर गया, लेकिन लोगों ने उसकी जगह दूसरा पौधा रोपा जो आज पेड़ बन गया है। स्वतंत्रता दिवस पर गांव के लोग यहां एकत्र होते हैं और शहीदों को नम आंखों से याद करते हैं। ग्राम प्रधान सुनील यादव व ग्राम सचिव अनुराग त्रिवेदी ने शहीद स्मारक के आसपास साफ सफाई पहले ही करा दी है। प्रधान कहते हैं कि हम शहीदों की वीरता को कभी भूल नहीं सकते हैं। यह सभी हमारे गांव के ही नहीं पूरे जनपद की शान हैं।


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