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लक्ष्मण-परशुराम संवाद सुन दर्शक हुए रोमांचित

संवाद सूत्र, शिवली : नगर पंचायत के देवनगर मोहल्ला स्थित ईश्वरी देवी मंदिर के वार्षिकोत्सव पर श्

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 05:38 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 05:38 PM (IST)
लक्ष्मण-परशुराम संवाद सुन दर्शक हुए रोमांचित

संवाद सूत्र, शिवली : नगर पंचायत के देवनगर मोहल्ला स्थित ईश्वरी देवी मंदिर के वार्षिकोत्सव पर शनिवार रात धनुष यज्ञ लीला का आयोजन किया गया। इस दौरान परशुराम-लक्ष्मण के बीच हुए विद्वतापूर्ण संवाद को सुनकर दर्शक रोमांचित हो उठे। वहीं भगवान राम के भातृ प्रेम की देख लोग भाव-विभोर हो गए।

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शिवली में शनिवार रात धनुष भंग लीला का शुभारंभ नगर पंचायत अध्यक्ष अवधेश शुक्ला ने राम दरबार की आरती उतार कर किया। लीला मंचन के दौरान धनुष के न टूटने से व्यथित राजा जनक ने तजहु आस निज-निज गृह जाहू, लिखा ना विधि वैदेही विवाहू, कहकर निराशा के भाव व्यक्त किए तथा अब जनि कोऊ मांखै भटमानी वीरविहीन मही मै जानी, कहकर मौजूद राजाओं को झकझोर दिया। इसे सुनकर लक्ष्मणजी क्रोधित हो उठे, जिन्हें भगवान राम शांत करते हैं। इसके पहले रावण तथा वाणासुर के बीच हुए ओजस्वी संवाद से दर्शक रोमांचित हो उठे। विश्वामित्र की आज्ञा पाकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम अजगव का खंडन करते हैं। धनुष टूटने की गर्जना सुनकर तपस्या में लीन महर्षि परशुराम का मिथिला आगमन होता है। वह क्रोध में राजा जनक से कहू जड़ जनक धनुष कै तोरा कहकर धनुष तोड़ने वाले का नाम पूंछते हैं। इसके साथ ही परशुरामजी नहीं वेगि दिखाव मूढ़ न तो आजू उलटहुं महि जहंलौ युवराजू कहते हुए क्रोध प्रकट करते हैं। परशुरामजी व लक्षण के बीच चले विद्वतापूर्ण संवाद को सुन दर्शक रोमांचित हो गए। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक अनुभव मिश्रा, अध्यक्ष विवेक द्विवेदी, चारु अवस्थी, सिद्धू तिवारी, वीरेंद्र, ओमप्रकाश मिश्रा, सत्यदेव दीक्षित, राजेश मिश्रा, शिवम द्विवेदी, मोनी अवस्थी आदि लोग मौजूद रहे।


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