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अफसरों की लापरवाही से किसानों को ढाई करोड़ की 'चोट'

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: विभाग भी है, फंड भी है, फिर भी काम सही से न होने के

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 06:35 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 06:35 PM (IST)
अफसरों की लापरवाही से किसानों को ढाई करोड़ की 'चोट'

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: विभाग भी है, फंड भी है, फिर भी काम सही से न होने के चलते किसानों को ढाई करोड़ रुपये की 'चोट' हो गई। लघु सिंचाई विभाग के अफसरों ने नहर की सिल्ट साफ कराने में 15 लाख रुपये खर्च करने का दावा किया। लेकिन, काम ऐसा हुआ कि नहर में 10 किलोमीटर तक पानी ही नहीं पहुंच सका। काम होने के बाद अधिकारियों ने ऑडिट ही नहीं किया और अब खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

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इटावा गंग नहर की शाखा पिण्डारथू झील से निकल कर सिकंदरा होते हुए करीब 50 गांवों के किसानों सिंचाई का पानी उपलब्ध कराती है। कई साल से सिल्ट के कारण आधी नहर सूखी ही रहती है। करीब 45 किलोमीटर लंबी नहर में दस किलोमीटर के हिस्से को पहले ही विभाग ने काट दिया है। उस क्षेत्र में किसानों से वसूली भी नहीं होती। बाकी बचे 35 किलोमीटर के हिस्से में दस किलोमीटर क्षेत्र की नहर में सिल्ट होने से वहां पानी ही नहीं पहुंचता। इस क्षेत्र में करीब 15 गांवों के किसानों की 1000 बीघा जमीन है। इसमें इन दिनों धान की बेड़ लगाई जा चुकी है। बारिश की उम्मीद पाले किसानों ने इसमें लागत भी खूब लगाई, लेकिन अब उन्हें सूखी नहर मुंह चिढ़ा रही है।

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ये हैं प्रभावित गांव

नहर शाखा महमूदपुर सिकंदरा से होते हुए राजपुर, जैनपुर, कमलपुर,नबीपुर, अफसरिया, अफसरिया की मड़इया, जल्लापुर, सट्टी, कथरी, डुण्डेपुर, स्वरूपपुर, नौबादपुर, बिझौना, शेखपुर, फजलीपुर, महाराजपुर, लंगड़ेपुर, जलपुरा, अमरौधा आदि गांवों से होकर आगे चपरघटा के पास सेंगुर नदी में मिल जाती है।

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सब कुछ लुट गया

दूंदेपुर के अशोक कुमार की चार बीघा जमीन पर धान की बेड़ लगी है। इसी तरह कुंज बिहारी की दो, रघुवीर की तीन बीघा, उदयपुर गांव के अस्मित ¨सह की दो बीघा जमीन, सट्टी के मुन्ना के पास आठ बीघा, नरेश ¨सह, सर्वेश कुमार आदि तमाम किसान ऐसे हैं जो जेब से लागत लगा चुके हैं। इस उम्मीद में थे कि नहर का सहारा होगा तो फसल बेहतर हो जाएगी। ऐसा नहीं होने से उनकी लागत भी चली गई।

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नहर साफ होती तो न होता नुकसान

किसानों के अनुसार एक बीघे में धान लगाने तक लागत करीब चार हजार रुपये आती है। इसमें फसल पैदा होने के बाद प्रति बीघा 25 हजार रुपये तक की बचत हो जाती है। जिस दस किलोमीटर क्षेत्र में नहर सूखी है, वहां करीब एक हजार बीघा धान की फसल पर संकट आ गया है। यदि फसल सही सलामत हो जाती तो ढाई करोड़ रुपये रुपये किसानों को मिल जाता। लघु सिंचाई विभाग के जेई की मानें तो 15 लाख रुपये खर्च कर नहर को साफ कराया गया था, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

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आगे की फसल बुआई के पहले नहर शाखा की सिल्ट सफाई के लिए बजट का प्रस्ताव भेजा गया है, पैसा मिलते ही यह काम कराया जाएगा।

-बीरेंद्र ¨सह एसडीओ, लघु सिंचाई विभाग


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