हर आहट पर गूंज उठता करूण क्रंदन
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: रैगवां गांव में सिसकियों का गुब्बार अभी थमा नहीं है। शही
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: रैगवां गांव में सिसकियों का गुब्बार अभी थमा नहीं है। शहीद के घर से पूरी रात चीखें रह-रह कर गूंजती रहीं। रविवार को दिन में दरवाजे का सन्नाटा हर आहट होते ही चित्कार में भर जाता। अंदर से रह-रह कर मां अपने लाल को याद कर बीच-बीच में चीख उठती हैं। सुबह से लेकर रात तक दरवाजे पर सांत्वना देने के लिए लोगों का आना जारी रहा।
रैगवां की गलियां रविवार को गम के आगोश में डूबी रहीं। गांवों के लोग, बाहर से सांत्वना देने वालों का तांता तो रहा लेकिन एक अजीब सी खामोशी छायी रही। श्यामबाबू की पत्नी रूबीस मां कैलाशी देवी बीते साठ घंटे से रो-रोकर निढाल हो चुकी हैं। आंखों के आंसू सूख गये लेकिन पलक नहीं झपकी। मासूम बेटा-बेटी मां की गोद छोड़ने को तैयार नहीं हो रहे। इन हालातों में रूबी घर की गैलरी में अपनी बहन के साथ स्वयं अद्धबेहोशी की हालत में उन्हें संभालने की कोशिश करती रही। इस बीच बहन छोटी बेटी को लेकर बाहर निकल आई। घर के बाहर मोहल्ले, गांव की महिलाओं की भीड़ तो है लेकिन कोई कुछ बोल नहीं रहा। उनके इस सन्नाटे को घर से आती चीखें चीर रही हैं। पिता रामप्रसाद का तो जैसे सब कुछ लुट चुका है। वह किसी से कुछ नहीं बोल रहे। बस एक टिक निहारे ही जा रहे हैं।