खानचंद्रपुर में तबाही का दायरा बढ़ा रहा क्रोमियम
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जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: कानपुर-इटावा हाईवे से मात्र आधा किलो मीटर दूरी पर पड़ा क्रोमियम करीब पचास बीघे से अधिक क्षेत्र में बिखरा हुआ है। धीरे-धीरे खानचंद्रपुर गांव व उसके मजरे को चपेट में लेने के साथ करीब पांच सौ बीघा खेती लायक जमीन को भी बंजर बना चुका है। अनुमान के हिसाब से हर बारिश में भूगर्भ जल को प्रदूषित करने का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। फिलहाल यह मुसीबत कम होने के बजाय खानचंद्रपुर से निकलती हुई अन्य गांवों की ओर भी बढ़ने लगी है। बारिश के दौरान यह रफ्तार और तेज हो जाती है। यहां तक कि इस बात को प्रशासन भी जानता है और वहां निषेधाज्ञा का बोर्ड भी लगा दिया था। वहां लोगों के आवागमन पर भी रोक लगा रखी गई है।
करीब तीस साल से आम जनजीवन के लिए तबाही बन जमीन के ऊपर ही नहीं अंदर भी रफ्ता-रफ्ता क्रोमियम जड़े गहरी करता जा रहा है। शुरुआती दौर में तो लोग समझ ही नहीं पाए थे कि जो फैक्ट्री संचालक कचरा उनके आबादी क्षेत्र के पास जमा कर रहे हैं वह उनकी कई पीढि़यों तक को अपनी चपेट में ले लेगा। धीरे-धीरे उसने अपना रंग दिखाना शुरू किया तो उनके घरों में लगे हैंडपंप, से लेकर सरकारी नलों तक का पानी बेरंग हो पीला निकलने लगा। 20 साल से हालात और खराब हो चुके हैं। इस जानलेवा कचरे ने खानचंद्रपुर गांव व उससे जुड़े मजरों को ही नहीं बल्कि और कई गांवों को भी अपने दायरे में ले लिया है।
अकबरपुर तहसील के खानचंद्रपुर में 63 मीट्रिक टन क्रोमियम डंप है। यह क्रोमियम धीरे-धीरे बारिश के दौरान या हवा के माध्यम से आबादी क्षेत्र में नुकसान पहुंचा रहा है। अब इसका असर दस किलोमीटर दायरे तक बढ़ गया है।
किसानी हुई चौपट
क्रोमियम तत्व की वजह से प्रभावित गांव की संख्या बढ़ी है। पहले तो खानचंद्रपुर, व उसके जुड़े तीन के लोग पीड़ित थे लेकिन इधर दस साल के अंदर उमरन, रहीमपुर, शिवनाथपुरवा, घारमपुर, रनियां व रनियां का औद्योगिक क्षेत्र भी शामिल है। घारमपुर के किसान बदलू, लालचंद्र, जानकी का कहना है कि खेतों में पैदावार प्रभावित हुई है। आगे आने वाली पीढि़यों के लिए हालात और खराब होंगे।