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जीएसटी में फंसा प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट निर्माण

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : आग की चपेट में आने वाले मरीजों के लिए फिलहाल जिला अस्पताल में

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Dec 2018 07:21 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 07:21 PM (IST)
जीएसटी में फंसा प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट निर्माण
जीएसटी में फंसा प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट निर्माण

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : आग की चपेट में आने वाले मरीजों के लिए फिलहाल जिला अस्पताल में राहत नहीं मिलने वाली। अस्पताल में बन रही बर्न यूनिट और प्लास्टिक यूनिट का निर्माण जीएसटी के फेर में फंस गया है। शासन द्वारा कार्यदाई संस्था के लिए जीएसटी के 9.54 लाख रुपये स्वीकृत न होने संस्था ने काम रोक दिया है। विभागीय अधिकारियों ने इसके लिए प्रयास शुरू किए हैं।

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बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए नवंबर 2012 में संयुक्त जिला अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट निर्माण को मंजूरी मिली थी। उस समय भवन निर्माण की लागत 153.26 लाख रुपए का आंकी गई थी। निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड (पैकफेड) को सौंपी गई थी। जून 2013 में भवन निर्माण का काम शुरू कराया गया। देर से निर्माण शुरू होने के कारण निर्माण सामग्री की लागत बढ़ती रही। विभाग ने 2015 तक 107.85 लाख रुपए की धनराशि अवमुक्त की थी, लेकिन कार्यदायी संस्था ने निर्माण लागत में बढ़ोत्तरी होने के कारण पुनरीक्षित लागत 196.87 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा था। इस पर शासन ने अवशेष 89.02 लाख रुपये जारी कर निर्माण जल्द पूरा करने के निर्देश दिए थे। अलबत्ता कार्यदायी संस्था ने प्राप्त धनराशि में 9.54 लाख रुपये जीएसटी के स्वीकृत न होने का हवाला देते हुए कार्य पर विराम लगा दिया गया है। ऐसे में जिला आने वाले आग से झुलसे मरीजों को कानपुर रेफर करना मजबूरी बना हुआ है। ''प्लास्टिक सर्जरी व बर्न यूनिट निर्माण के लिए अवमुक्त धनराशि में जीएसटी की 9.54 लाख रुपये धनराशि स्वीकृत नहीं थी। संस्था ने उक्त धनराशि जमा की है। स्वास्थ्य विभाग से जीएसटी धनराशि स्वीकृत होने पर निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा।''

- जेएस सिकरवार, अधिशाषी अभियंता, पैकफेड ''पूर्व में वैट व्यवस्था लागू थी। इसके बाद जीएसटी लागू होने पर कार्यदायी संस्था जमा कर रही है। एकाउंट विभाग की ओर से 4 प्रतिशत वैट, करीब 2 प्रतिशत इनकम टैक्स व एक प्रतिशत लेबर सेस काटा गया था। सीएमओ स्तर से सेल टैक्स कमिश्नर को वैट की धनराशि वापस कराने का पत्र भेजा जाएगा।''

- नवीन कुमार, जेई, स्वास्थ्य विभाग


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