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घर-घर सजी मस्ती की पाठशाला, खेलकूद के साथ पढ़ाई कर रहे बच्चे

घर-घर सजी मस्ती की पाठशाला खेलकूद के साथ पढ़ाई कर रहे बचे

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 05:07 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 05:07 PM (IST)
घर-घर सजी मस्ती की पाठशाला, खेलकूद के साथ पढ़ाई कर रहे बच्चे
घर-घर सजी मस्ती की पाठशाला, खेलकूद के साथ पढ़ाई कर रहे बच्चे

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: कोरोना वायरस के कारण स्कूलों में हुई छुट्टी का मजा बच्चे अपनी तरह से ले रहे हैं। बच्चे इस स्पेशल छुट्टी में मोबाइल, कंप्यूटर पर गेम खेलने या टीवी में कार्टून देखने, में मशगूल हैं। वैसे भी डिजिटल नेटवर्क यानि इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इंटरनेट जितना बड़ों के लिए जरूरी है उतना ही आने वाली पीढ़ी के लिए भी जरूरी बनता जा रहा है। अभिभावक बच्चों पर दबाव नहीं उनसे दोस्ती करके उन्हें समझाएं। यह करें

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बेसिक शिक्षाधिकारी सुनील दत्त कहते हैं, बच्चों को फोन, इंटरनेट से दूर रखना आसान नहीं हैं। जरूरी है बच्चों को ज्यादा एजुकेशन प्रोवाइड करने वाली एप्लिकेशनस के प्रति जागरूक करें। बच्चों के फोन में एक ऐसी एप्लीकेशन भी जरूर सेव करें जिससे आपको उनकी की गई सर्चिंग के बारे में पता लगता रहे। इस बारे में बच्चे को भी जरूर जानकारी हो कि आपकी नजर उस पर है। समय निर्धारित करें

जिस तरह बच्चों का पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद का समय तय किया है। वैसे ही इंटरनेट के लिए समय तय करें। इससे बच्चे को पता होगा कि उसे निर्धारित समय में अपना काम पूरा करना है। वह इधर-उधर की बातें इंटरनेट पर देखने में अपना समय खराब नहीं करेगा। बच्चों से दोस्ताना व्यवहार करें

बच्चों को न सुनना बिल्कुल पसंद नहीं होता। जो बात उन्होंने कही वह बस पूरी हो जानी चाहिए। ऐसे में जरूरी है कि बच्चे के दोस्त बनें। साथ बैठकर कभी कार्टून देखें। जो बच्चा आपको इंटरनेट पर दिखाना चाहे उसे पूरी लगन के साथ देखें। बच्चे को अपनी बात मनवानी हो तो पहले उसकी एक दो बातें जरूर मानें। इससे बच्चा आपकी बात जल्द समझेगा। मोबाइल में गेम्स कम खेलने दें

बच्चे मोबाइल पर गेम्स खेलना पसंद करते हैं। जिस वजह से एक दिन बच्चे इस लत का शिकार हो जाते हैं। इसका बुरा प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्तर पर पड़ता है। बीते साल मोमो चैलेंज और ब्लू व्हेल जैसे गेम्स याद होंगे। आपको न सिर्फ बच्चे को इंटरनेट के सही इस्तेमाल के बारे में बताते रहना होगा बल्कि उन्हें गेम्स खेलने के नुकसान भी बताने होंगे। बच्चों के लिए बनें रोल मॉडल

बच्चों को समझाने से पहले खुद में बदलाव लाएं। ज्यादातर मां-बाप बच्चों के साथ समय बिताने की बजाए फोन और इंटरनेट ज्यादा यूज करते हैं। उन्हें देख बच्चे भी ऐसा ही करते हैं। कोशिश करें खुद को भी डिजिटल दुनिया से दूर रखें। इससे अपने बच्चे को ज्यादा समय दे पाएंगे। बच्चे पर डिजिटल दुनिया का बुरा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। खेल प्रशिक्षक राजेश बाबू कटियार का कहना है कि बचपन हर किस्म का आनंद अनुभव करने का समय होता है। अत: बच्चों में रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें मजेदार, शैक्षणिक और प्रतिक्रियात्मक खिलौने व खेल सामग्री प्रदान करें।


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