सुरक्षा के लिए चुनौती बने आवारा मवेशी
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: जनपद में बड़ी तादात में घूम रहे आवारा जानवर आम लोगों की
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: जनपद में बड़ी तादात में घूम रहे आवारा जानवर आम लोगों की सुरक्षा के लिए चुनौती बने हुए हैं। आवारा मवेशियों के हमले या वाहनों से टकराने से सात में 13 लोगों की जान जा चुकी है। बावजूद इसके अस्पतालों व सड़कों पर जमावड़ा लगाने वाले यह मवेशी लोगों व खेतों में काम कर रहे किसानों के लिए मुसीबत का सबब बने हैं।
आवारा पशुओं की विकराल होती समस्या कस्बों और गांवों में एक जैसी है। नगरीय क्षेत्रों में सड़कों व अस्पतालों में डेरा जमाए व हाइवे पर झुंड में विचरण करते मवेशी जहां हादसों की वजह बन रहे हैं। वहीं राहगीरों व किसानों पर हमला कर उनकी जान भी ले रहे हैं। अन्ना घूम रहे मवेशियों के जिला अस्पताल में इमरजेंसी गेट को घेर कर खड़े होने से मरीजों को लेकर आने वाली एंबुलेंस को पोर्टिको तक पहुंचने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। यह नजारा अकबरपुर कोतवाली परिसर रूरा अस्पताल परिसर, रूरा थाना ग्राउंड में सुबह शाम देखा जा सकता है। -इंसेट) सात माह में मवेशियों के हमले में इनकी गई जान
12 फरवरी: सांड़ के हमले से विजईपुर रूरा निवासी रहमत अली (55) की मौत ।
28 फरवरी : सांड़ के हमले से गंभीर बेनीगांव रूरा निवासी पप्पू (45) की मौत ।
20 अप्रैल: आवारा गाय के हमले से विजईपुर रूरा के राज कुमार (65) की मौत।
3 मई: सांड़ के हमले से बिलवाहार अकबरपुर की मंजू देवी (55) की मौत ।
19 मई: कोरियन निवादा रसूलाबाद के मंगली की सांड़ के हमले से मौत ।
21 मई : भैंस के हमले से गुलौली मूसानगर के शिव प्रसाद शुक्ला (45)
4 जून : सांड़ के हमले से जिनई गढ़ेवा रूरा के श्रीपाल (65) की मौत ।
5 अगस्त : सांड़ के हमले से बलियापुर मंगलपुर के किसान योगेश (35) की मौत ।
12 अगस्त : बलियापुर गांव के किसान योगेश (35) की सांड के हमले में तालाब में गिरने से मौत
23 अगस्त:शूटरगंज ग्वाल टोली कानपुर के बाइक सवार मो. तालिब (17) की सांड से टकराने से मुरीदपुर के पास मौत ।
28 अगस्त:शास्त्री नगर रूरा निवासी दर्शन ¨सह(85) की सांड के हमले से मौत ।
9 सितंबर:महमूदापुर के मजरा बालकिशन निवादा के राम प्रकाश (55) की सांड के हमले से मौत।
25 अक्टूबर:डेरापुर थाना क्षेत्र के सनिहापुर बाम्हणान निवासी रामेश्वर (80) की सांड के हमले से मौत। क्या कहते हैं जिम्मेदार
आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए नगर पंचायत को कई पत्र भेजे गए हैं। लेकिन कैटिल कैचर दस्ता न होने से नगर प्रशासन के स्तर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। जल्द ही रिमाइंडर भेज कर मरीजों के लिए खतरा बने आवारा पशुओं पर रोकथाम लगाने के लिए अवगत कराया जाएगा।- डा. रमेश बाबू, सीएमएस, जिला अस्पताल अकबरपुर। नगर निकायों के पास कैटिल कैचर दस्ता न होने से समस्या है। आवारा पशुओं के संरक्षण के लिए कान्हा गौशाला एवं बेसहारा पशु आश्रय योजना के तहत पशुसंरक्षण गृह बनाने की कार्य योजना तैयार की गई है। मवेशी के हमले में मारे गए किसानों को किसान बीमा योजना आदि से मद का प्रावधान है।- महेंद्र कुमार राय, सीडीओ, कानपुर देहात।