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बंद हो गया बिरिया जंगल प्राथमिक स्कूल!

संवाद सहयोगी, डेरापुर: बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारी नियमित स्कूल खुले इसकी जोर आजमाइश

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 06:12 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 06:12 PM (IST)
बंद हो गया बिरिया जंगल प्राथमिक स्कूल!
बंद हो गया बिरिया जंगल प्राथमिक स्कूल!

संवाद सहयोगी, डेरापुर: बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारी नियमित स्कूल खुले इसकी जोर आजमाइश में लगे हैं। इधर ब्लाक क्षेत्र में बिरिया जंगल प्राथमिक स्कूल लगातार दो माह से बंद है। यहां पंजीकृत बच्चों की पढ़ाई ठप है। अलबत्ता अध्यापक स्कूल नहीं आ रही है।

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बिरिया जंगल प्राथमिक स्कूल में बतौर अध्यापक प्रतिमा कटियार की तैनाती है। तीन वर्ष पूर्व उन्हें हाईवे के नजदीक के स्कूल कैरामऊ प्राथमिक विद्यालय में संबद्ध किया गया था। बिरिया जंगल स्कूल में तैनात समायोजित शिक्षामित्र शिवप्रकाश अध्यापन कर रहे थे। अगस्त में स्थानांतरित होकर वह मूल ब्लाक मैथा चले गए। इसके बाद से विद्यालय शिक्षक विहीन हो गया है। यहां पंजीकृत 15 बच्चों को पढ़ाने वाला कोई अध्यापक नहीं है। अध्यापक की समस्या दूर करने के लिए 1 नवंबर को बीईओ ने प्रतिमा कटियार की संबद्धता कैरामऊ स्कूल से रद कर दी। इसके साथ उन्होंने पत्र जारी कर प्रतिमा कटियार को मूल विद्यालय बिरिया जंगल में तत्काल योगदान आख्या देने और अध्यापन का निर्देश दिया। बावजूद इसके प्रतिमा मूल विद्यालय नहीं लौटी। वह बराबर संबद्धीकरण वाले विद्यालय कैरामऊ ही जा रही हैं। अध्यापक की हठधर्मिता से बिरिया जंगल प्राथमिक स्कूल में ताला लटका है। जबकि यहां पंजीकृत बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है। सरकार की अन्य लाभपरक मिडडे-मील, ड्रेस वितरण आदि योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं।

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बिरिया जंगल प्राथमिक स्कूल खुले इसके लिए अध्यापक प्रतिमा कटियार को मूल स्कूल में वापस किया गया है। अलबत्ता उन्होंने अभी तक कैरामऊ स्कूल नहीं छोड़ा है। उच्चाधिकारियों को पूरी स्थिति से अवगत कराया गया है। स्कूल खुले इसके लिए जल्द जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

-उदय नारायण कटियार, बीईओ डेरापुर

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अभिभावकों के बोल

दो माह से अधिक समय से विद्यालय बंद होने से बिरिया जंगल स्कूल के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है। अभिभावकों में इसको लेकर नाराजगी है। सुरेश कुमार कहते हैं कि अध्यापक गांव के स्कूल से वेतन ले रही है लेकिन यहां के बच्चों की पढ़ाई ठप है। दूसरे स्कूल दूर होने से बच्चे नहीं भेज पा रहे हैं। रमेश ¨सह कहते हैं कि लाखों रुपये की लागत से बना स्कूल भवन वीरान पड़ा है। इससे यहां पूरे दिन अराजक तत्व जमें रहते हैं। परिसर भी गंदा हो रहा है।


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