शाबाश ! कुएं में गिरे बेहोश पिता को अपनी जान पर खेलकर निकाल लायी बेटी
इस बेटी को सलाम! सिर्फ बेटों को बुढ़ापे की लाठी समझने वालों के लिए इस बेटी का कारनामा न सिर्फ आईना, बल्कि समाज पर जोरदार तमाचा है।
कानपुर देहात [ अनिल दिवेदी ]। इस बेटी को सलाम! सिर्फ बेटों को बुढ़ापे की लाठी समझने वालों के लिए इस बेटी का कारनामा न सिर्फ आईना, बल्कि समाज पर जोरदार तमाचा है। कुएं में उतरे उसके पिता बेहोश हो गए। उसकी निगाहें कुछ देर तक तो मददगारों को देखती रहीं। एक-दो शख्स कुएं में उतरे, लेकिन कुएं की घटन ने उनके हौसले पस्त कर दिए। मगर, फूल सी कोमल समझी जाने वाली बेटी नाम के मुताबिक पिता के जीवन की रक्षा को ढाल बन कुएं में उतर गई। गांव के नौजवान तमाशबीन बने माजरा देखते रहे रक्षा अपने पिता को रस्से से बांध कर कुएं से बाहर खींच लाई।
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बेटियों का सिर गर्व से ऊंचा करने वाली ये घटना अकोढ़ी गांव की है। यहां हृदय नारायण शुक्ला, बेटी रक्षा उर्फ राधा (22) और बेटों के साथ रहते हैं। शनिवार को उनके बेटे किसी काम से बाहर चले गए थे। हृदयनारायण घर के बाहर पुराने कुएं के पास कुछ जरूरी कागजात सुखा रहे थे। तभी हवा में कुछ कागजात उड़कर कुएं में गिर गए। कागजात निकालने के लिए रस्से के सहारे वह कुएं में उतर गए। सूखे कुएं में अधिक गहराई के कारण ऑक्सीजन कम थी। इससे वह बेहोश हो गए।
कुएं के बाहर मौजूद परिवारीजन ने आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इस पर गांव के युवा फहीम और बबलू ठाकुर ने रस्से के सहारे कुएं में उतरने का प्रयास किया, लेकिन बीच में घुटन का अहसास होते ही बाहर आ गए। ग्रामीणों ने कुएं के अंदर पानी का छिड़काव कर नीम की पत्तियां डालीं। मगर, उसके बाद भी कोई कुएं में उतरने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। कुएं के अंदर बेहोश पड़े पिता की जान का खतरा देखकर बेटी रक्षा आगे आई। उसने खुद को रस्से से बांधा और कुएं में उतर गई। उसने बेहोश पड़े पिता को बांध लिया। उससे घुटन भले ही महसूस होती रही, लेकिन वह बाप-बेटी के रिश्ते में जान फूंकती रही। उसने कुएं से ही आवाज लगाई और ग्रामीणों ने दोनों को बाहर निकाल लिया।
तब तक रक्षा भी कम ऑक्सीजन की वजह से बेसुध सी होने लगी थी। ग्रामीणों ने पिता-पुत्री को पुखरायां ले जाकर निजी चिकित्सक से उपचार कराया। इसके बाद दोनों की हालत समान्य हुई।