युवा सांसद बोले, पात्रों की नियुक्ति से सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता
युवा संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा बिल पर सांसदों में हुई बहस।
By Edited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 11:33 PM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 04:48 PM (IST)
कानपुर जागरण संवाददाता। यूथ पार्लियामेंट के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन हंगामेदार चर्चा का गवाह बना। युवा सांसदों ने तर्को के साथ जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा बिल 2017 के साथ असंगठित क्षेत्र में युवाओं को रोजगार देने का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया गया।
साकेत नगर स्थित जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में सजी युवा संसद के दूसरे दिन सबसे पहले निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक (राइट ऑफ चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंपलसरी एजूकेशन अमेंडमेंड बिल 2017) पर चर्चा हुई। सत्ता पक्ष की ओर से युवा सांसद अमित मिश्रा ने कहा कि शिक्षा और शिक्षकों की गुणवत्ता में लगातार सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। विपक्ष की ओर से युवा सांसद शिवम पांडेय ने कहा कि जब हमारे पास पात्र अध्यापक हैं तो अपात्रों की नियुक्ति क्यों की जाएं। उन्होंने उदाहरण दिया कि प्रदेश में साढ़े चार लाख टीईटी पात्र अभ्यर्थी हैं, जबकि शिक्षकों के रिक्त पद सिर्फ एक लाख हैं। ऐसे में पात्रों की नियुक्ति से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है।
असंगठित क्षेत्र में युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर सबसे पहले सत्ता पक्ष के युवा सांसद शिवांशु ने कहा कि हमारी सरकार स्किल डेवलपमेंट से जुड़े कार्यक्रम संचालित कर रही है, जो युवाओं को रोजगार दिलाने में मददगार है। इसके विपक्ष में अपनी बात रखते हुए युवा सांसद शुभम गुप्ता ने कहा असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण क्षेत्रीय उद्योगों के विकास में कमी का होना है। बानगी के तौर पर शहर की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में है, लेकिन तकनीकी सुधार में पिछड़ने के कारण असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी है। इसे दूर किया जाना चाहिए। इससे पहले श्रेयांस को वित्तमंत्री के रूप में चुना गया।
युवा सांसद बोले
संसद में बिलों पर चर्चा के दौरान जो माहौल देखा, वह अद्भुत था। -दीपाली मिश्रा
संसद में कैसे बिल और मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं, यह जानकारी मिल। - श्रेयांश गर्ग
जैसा संसद का सत्र टीवी पर देखते थे, ठीक वैसे ही हर गतिविधि को देखा। - आशुतोष शंखवार
संसद में जब तकरार होती है, तो माहौल गरमा जाता है। एक यादगार अनुभव है। - शिवांशु श्रीवास्तव
जागरण यूथ पार्लियामेंट एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां अपनी बात बेबाकी से रखी जा सकती है। - सागर निगम
संसद के पूरे सत्र में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। प्रतिभाग कर बेहद खुश हूं। - माज आलम
साकेत नगर स्थित जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में सजी युवा संसद के दूसरे दिन सबसे पहले निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा विधेयक (राइट ऑफ चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंपलसरी एजूकेशन अमेंडमेंड बिल 2017) पर चर्चा हुई। सत्ता पक्ष की ओर से युवा सांसद अमित मिश्रा ने कहा कि शिक्षा और शिक्षकों की गुणवत्ता में लगातार सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। विपक्ष की ओर से युवा सांसद शिवम पांडेय ने कहा कि जब हमारे पास पात्र अध्यापक हैं तो अपात्रों की नियुक्ति क्यों की जाएं। उन्होंने उदाहरण दिया कि प्रदेश में साढ़े चार लाख टीईटी पात्र अभ्यर्थी हैं, जबकि शिक्षकों के रिक्त पद सिर्फ एक लाख हैं। ऐसे में पात्रों की नियुक्ति से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है।
असंगठित क्षेत्र में युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर सबसे पहले सत्ता पक्ष के युवा सांसद शिवांशु ने कहा कि हमारी सरकार स्किल डेवलपमेंट से जुड़े कार्यक्रम संचालित कर रही है, जो युवाओं को रोजगार दिलाने में मददगार है। इसके विपक्ष में अपनी बात रखते हुए युवा सांसद शुभम गुप्ता ने कहा असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण क्षेत्रीय उद्योगों के विकास में कमी का होना है। बानगी के तौर पर शहर की पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में है, लेकिन तकनीकी सुधार में पिछड़ने के कारण असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी है। इसे दूर किया जाना चाहिए। इससे पहले श्रेयांस को वित्तमंत्री के रूप में चुना गया।
युवा सांसद बोले
संसद में बिलों पर चर्चा के दौरान जो माहौल देखा, वह अद्भुत था। -दीपाली मिश्रा
संसद में कैसे बिल और मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं, यह जानकारी मिल। - श्रेयांश गर्ग
जैसा संसद का सत्र टीवी पर देखते थे, ठीक वैसे ही हर गतिविधि को देखा। - आशुतोष शंखवार
संसद में जब तकरार होती है, तो माहौल गरमा जाता है। एक यादगार अनुभव है। - शिवांशु श्रीवास्तव
जागरण यूथ पार्लियामेंट एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां अपनी बात बेबाकी से रखी जा सकती है। - सागर निगम
संसद के पूरे सत्र में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। प्रतिभाग कर बेहद खुश हूं। - माज आलम
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