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ब्राजील के बाद चीनी उत्पादन में भारत ने कायम की मिसाल, कानपुर में बोले गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा

प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि चार साल पहले यहां पर 66 टन प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता था जो अब 81.5 टन है। चार वर्ष पूर्व किसानों को 18 हजार करोड़ प्रतिवर्ष गन्ना के दाम दिए जाते थे।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 10:20 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 10:20 PM (IST)
ब्राजील के बाद चीनी उत्पादन में भारत ने कायम की मिसाल, कानपुर में बोले गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा
शिक्षक सम्मान समारोह में सम्मानित किए गए शिक्षक साथ में कैबिनेट गन्ना मंत्री सुरेश राणा।

कानपुर, जेएनएन। गन्ने की बंपर पैदावार और चीनी उत्पादन में देश ने पूरी दुनिया में मिसाल कायम की है। ब्राजील के बाद यह चीनी उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। इसमें उत्तर प्रदेश की भागीदारी सर्वाधिक हैै। ब्राजील में चार सौ लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन होता है, जबकि भारत में करीब 310 मीट्रिक टन चीनी बनाई जा रही है। इसमें प्रदेश की भागीदारी 125 लाख मीट्रिक टन है। यह बातें प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री सुरेश राणा ने रविवार को राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में विचार गोष्ठी व शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान कहीं।

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उन्होंने कहा कि चार साल पहले यहां पर 66 टन प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता था, जो अब 81.5 टन है। चार वर्ष पूर्व किसानों को 18 हजार करोड़ प्रतिवर्ष गन्ना के दाम दिए जाते थे, जो अब 36 हजार करोड़ प्रतिवर्ष मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी ने किसानों का पिछली सरकार में बकाया 10,600 

करोड़ रुपये का भुगतान किया है। चीनी उत्पादन बढ़ाने के बाद अब पेट्रोल में इथेनाल की ब्लेंडिंग 20 से 30 फीसद किए जाने का लक्ष्य है। पहले 42 करोड़ लीटर प्रतिवर्ष इथेनाल का उत्पादन होता था, जो अब सौ करोड़ लीटर हो रहा है। कोरोना काल में ज्यादातर उद्योग बंद रहे थे, लेकिन गन्ना उद्योग पर प्रभाव नहीं पडऩे दिया। कोई भी चीनी मिल बंद नहीं हुई, बल्कि चार नई स्थापित की गईं। डेढ़ दर्जन पुरानी मिलों की क्षमता बढ़ाई गई। पिछली सरकारों में 2007 से लेकर 2017 तक 30 चीनी मिलें बंद हुईं और 21 बिक गईं।

सह उत्पाद बन रहे रोजगार का बड़ा माध्यम: मंत्री ने बताया कि गन्ने का रस निकाले जाने के बाद जो सह उत्पाद निकलते हैं, उनका इस्तेमाल काफी, ङ्क्षजजर, आइस व मेडिसिन समेत विभिन्न प्रकार की चीनी बनाने में किया जा रहा है। अब यह एक बड़े उद्योग के रूप में सामने आ चुका है। इससे न सिर्फ किसानों को गन्ने के अधिक दाम मिलने लगे हैं, बल्कि स्वरोजगार व रोजगार का सृजन भी बड़े पैमाने पर हो रहा। निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि यह संस्थान भारत रत्न सीवी रमन व शिक्षाविद एवं देश के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से आशीर्वाद प्राप्त है। उनकी शुभकामनाओं के पत्र आज भी संस्थान में सुरक्षित है। संस्थान की 1930 में स्थापना से लेकर अब तक सौ से अधिक तकनीक इजाद की गई हैं। 

प्रधानमंत्री व गृहमंत्री एक फोन की दूरी पर उपलब्ध: किसानों की महापंचायत के बारे में पूछे गए सवाल पर गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि अपनी बात कहने का सबका अपना तरीका होता है। गन्ना किसानों की समस्या के समाधान के लिए कृषि मंत्री ने 12 बार संयुक्त किसान मोर्चे से वार्ता की है। प्रधानमंत्री व गृहमंत्री एक फोन की दूरी पर उनके लिए उपलब्ध हैं। फिर भी अगर किसी के पास किसानों की समस्या के समाधान के लिए फार्मूला है तो वह आमंत्रित है। 

पूर्व निदेशक और शिक्षाविद सम्मानित: कार्यक्रम में एनएसआइ के पूर्व निदेशक प्रो. राजेंद्र बहादुर निगम, प्रो. राजेंद्र कुमार वैश्य, प्रो. सतीश कुमार गुप्ता व प्रो. राजेंद्र प्रसाद शुक्ला को सम्मानित किया गया। पूर्व प्रो. प्रमोद कुमार अग्रवाल, पूर्व रिसर्च स्कालर डा. कल्पना बाजपेई व डा. किरण सिंह को भी सम्मान मिला। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री नीलिमा कटियार व प्रो. डी स्वाइंग समेत शिक्षक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।   


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