कोरोना संक्रमण में आराम दे रहीं दमा की दवाएं, शोध मे शामिल होंगे बेहतर रिपोर्ट वाले मरीज
कोरोना संक्रमित मरीज के फेफड़े में संक्रमण को देखने के बाद इंजेक्शन दिया जा रहा है। इलाज के प्राथमिक चरण में दमा में प्रयोग होने वाले इनहेलर और स्टेराइड्स देने से मरीजों को खासा आराम मिल रहा है।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस रूप बदलकर फेफड़ों पर हमले कर रहा है। ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में डॉक्टर दमा की कुछ दवाएं मरीजों को दे रहे हैं, जो कारगर भी सिद्ध हो रही है। हैलट अस्पताल के न्यू साइंस कोविड सेंटर और मैटरनिटी विंग में भर्ती मरीजों से इसकी शुरुआत की गई। बेहतर रिपोर्टों को शोध में भी शामिल किया जाएगा, ताकि दमा की ये दवाएं महंगी दवाओं का विकल्प बन सकें।
दमा, सांस और सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस) के मरीजों को ब्यूडेसोनाइड और बिक्लोमिथेसोन इनहेलर दिया जाता है। सांस के मरीज इसको सीधे पफ मशीन से इस्तेमाल करते हैं। कुछ को स्पेसर (इनहेलर के लिए डिवाइस) से लेने के लिए कहा जाता है। कोरोना संक्रमितों को स्पेसर से इनहेलर के लिए परामर्श दिया जा रहा है। इसी तरह मिथाइल प्रिडनिसोलोन, डेक्सामिथेसोन और कॉर्टिसोन भी दिए जा रहे हैं। इनके इंजेक्शन भी आते हैं। न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी प्रो. प्रेम सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमितों पर स्टेराइड्स बहुत बेहतर काम कर रहे हैं। इन्हें कोरोना के इलाज की नई गाइडलाइन में शामिल किया गया है। इसका उपयोग डॉक्टरों के परामर्श पर करना चाहिए, क्योंकि इसके साइड इफेक्ट भी रहते हैं।
चेस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुधीर चौधरी ने बताया कि सीटी स्कैन और डिजिटल एक्स-रे की रिपोर्ट के आधार पर संक्रमितों को मिथाइल प्रिडनिसोलोन, डेक्सामिथेसोन, प्रिडनिसिलोन आदि दवाएं दी जाती हैं। इसकी डोज निमोनिया के असर को देखकर निर्धारित होती है। हल्की खांसी व जकडऩ पहली, फेफड़े में खराबी दूसरी और बुरी तरह से प्रभावित तीसरी कैटेगरी है। चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. राज तिलक के मुताबिक स्टेराइड्स के साइड इफेक्ट भी रहते हैं। इन्हें डॉक्टर के परामर्श के बाद ही लेना चाहिए।