Move to Jagran APP

World Arthritis Day: वरदान बनी पीआरपी इंजेक्शन थेरेपी, चलने-फिरने में लाचार मरीजों ने पकड़ी रफ्तार

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के आर्थोपेडिक विभाग में पीआरपी इंजेक्शन थेरेपी से अबतक 200 से ज्यादा गठिया राेगियों को लाभ मिला है । बीमारी की वजह से चलने-फिरने से लाचार हो चुके मरीजों ने फिर से रफ्तार पकड़ी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 08:38 AM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 08:38 AM (IST)
World Arthritis Day: वरदान बनी पीआरपी इंजेक्शन थेरेपी, चलने-फिरने में लाचार मरीजों ने पकड़ी रफ्तार
गठिया के दर्द से बेहाल जिंदगी फिर हुई खुशहाल।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। मरीजों के खून से तैयार प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) इंजेक्शन थेरेपी गठिया के मरीजों के लिए वरदान बनी है। गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय (जीएसवीएम मेडिकल कालेज) के एलएलआर हास्पिटल स्थित आर्थोपेडिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. फहीम अंसारी ने वर्ष 2018 में इसकी शुरुआत की थी। इसकी बदौलत 200 से ज्यादा गठिया या जोड़ों (कंधे, घुटने, टखने एवं कोहनी) के दर्द से बेहाल मरीजों की जिंदगी खुशहाल हो गई है। चलने-फिरने और रोजमर्रा के काम कर पाने में लाचार मरीजों को पीआरपी के 28 दिन के अंतराल में दो इंजेक्शन लगाए, जिसके बेहतर परिणाम मिले हैं।

loksabha election banner

Case-1 : घुटने के दर्द से बेहाल विजय नगर निवासी 55 वर्षीय डा.जाफरी चलने-फिरने से लाचार थे। कई जगह इलाज कराकर थक चुके थे। छड़ी के सहारे चलकर लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट) के आर्थोपेडिक विभाग में डा.फहीम को दिखाने आए। उन्होंने आस्टियो आर्थराइटिस से राहत के लिए प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) थेरेपी की सलाह दी। घुटने में दो बार निश्चित अंतराल में इंजेक्शन लगाया गया और उनकी छड़ी छूट गई। अब वह आराम से चलते-फिरते हैं।

Case-2 : इफ्तिखाराबाद के रहने वाले 48 वर्षीय मो. आकिफ टखने की गठिया से पीडि़त थे। मेडिकल कालेज के आर्थोपेडिक विभाग में दिखाया। उनका खून लेकर इंजेक्शन तैयार कर 28 दिनों के अंतर में दो बार लगाया। अब उन्हें टखने की समस्या से राहत मिल गई है।

Case-3 : लाटूश रोड निवासी 25 वर्षीय देवब्रत बास्केटबाल खेलने के दौरान गिर गए थे। उनका कंधा उतर गया था। वह हाथ हिला-डुला नहीं पा रहे थे। दर्द से बेहाल थे। डाक्टरों ने कंधे की सर्जरी की सलाह दे दी। मेडिकल कालेज में हुई पीआरपी थेरेपी वरदान साबित हुई। अब वह फिर से बास्केटबाल खेल रहे हैैं।

स्वयं के खून से तैयार किया इंजेक्शन

गठिया से परेशान हो चुके मरीजों का खून लेकर उससे पीआरपी तैयार किया गया। फिर उसे इंजेक्शन के जरिए घुटने या जोड़ों के अंदर पहुंचाया गया। ये प्रक्रिया दो बार दी गई, कुछ को तीन बार भी इंजेक्शन देना पड़ा। इससे दर्द से पूरी तरह से राहत मिल गई, जिन्हें घुटना प्रत्यारोपण की सलाह दी गई थी, उन्हें भी आराम मिल गया।

इस वजह से होती जोड़ों में समस्या

डा. फहीम ने बताया कि घुटने की कार्टिलेज (साफ्ट टिश्यू यानी गद्देदार परत) घिसने या क्षतिग्रस्त होने से हड्डियां आपस में रगडऩे लगती हैं। इससे घुटने में दर्द एवं घुटने जाम होने लगते हैं। पीआरपी देने पर घुटने की सतह पर फिर से चिकनाई आने लगती है, जिससे कार्टिलेज री-जेनरेट होने लगता है। इस थेरेपी से 95 फीसद मरीजों को दर्द से राहत मिल जाती है।

इनके लिए कारगर

-जिनके घुटने खराब हो चुके हैं।

-व्हील चेयर या छड़ी लेकर चलते हैं।

-कंधा, घुटना, टखना व कोहनी की समस्या से पीडि़त लोग।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.