बिना कोच हटाए बदली जाएगी टूटी स्प्रिंग
स्प्रिंग टूटने की वजह से अब ट्रेन घंटों लेट नहीं होगी। कोचिंग काम्प्लेक्स कानपुर ने बिना कोच हटाए टूटी स्प्रिंग को बदलने में सफलता पाई है। इस नई विधा का डिपो में सफल परीक्षण हो चुका है। नई तकनीक में समय की काफी बचत होगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर : स्प्रिंग टूटने की वजह से अब ट्रेन घंटों लेट नहीं होगी। कोचिंग काम्प्लेक्स कानपुर ने बिना कोच हटाए टूटी स्प्रिंग को बदलने में सफलता पाई है। इस नई विधा का डिपो में सफल परीक्षण हो चुका है। नई तकनीक में समय की काफी बचत होगी।
पिछले दिनों सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेनों की स्प्रिंग टूटने की एक के बाद एक कई घटनाएं हुई। स्प्रिंग टूटने के बाद केवल एक ही विकल्प रेलवे के पास होता है कि प्रभावित कोच को काटकर अलग कर नया लगाया जाए। इस प्रक्रिया में ढाई से साढ़े तीन घंटे तक का समय खराब होता है। इसका असर ट्रेनों की समयबद्धता पर पड़ता है।
चीफ डिपो ऑफीसर राहुल चौधरी ने बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए कोचिंग काम्प्लेक्स में एक प्रयोग किया गया, जिसमें बिना कोच हटाए स्प्रिंग बदली गई। जैक के सहारे कोच को उठाकर स्प्रिंग बदलने की इस विधा का सफल परीक्षण राहत भरा है। उन्होंने बताया कि इस विधा में टूटी स्प्रिंग को हटाकर नई स्प्रिंग बदलने में आधा से पौन घंटे का समय लगेगा।
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एक साल में हुई 21 घटनाएं
पिछले एक साल में कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन और यहां से चलने वाली गाड़ियों में 21 से अधिक स्प्रिंग टूटने की घटनाएं हो चुकी हैं। 25 अप्रैल से 27 अप्रैल के बीच तो लगातार तीन दिनों में तीन गाड़ियों में स्प्रिंग टूटने की घटनाएं हुई। दैनिक जागरण द्वारा पूर्व में की गई पड़ताल में सामने आया था सर्वाधिक नौ रेल स्प्रिंग कारखाना सिथौली ग्वालियर में बनाई गई थी। चार स्प्रिंग प्राइवेट कंपनियों की हैं।
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बढ़ जाती है डिरेल की अशंका
सवारी गाड़ियों में स्प्रिंग का काम यात्रियों को झटकों से बचाना होता है, लेकिन मौजूदा समय की तेज रफ्तार ट्रेनों में स्प्रिंग का काम और महत्वपूर्ण हो गया है। जानकारों के मुताबिक स्प्रिंग की खराबी से ट्रेन के डिरेल होने की आशंका रहती है।