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Special on Plastic Bag Free Day : कानून में क्या रखा है, पब्लिक है कि मानती नहीं, रोज तोड़ रही नियम-कायदे

Special on Plastic Bag Free Day अब तक इसके तहत कार्रवाई का अधिकार केवल नगर निगम को था मगर अब कमिश्नरेट पुलिस को भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार मिल गया है। हालांकि पुलिस ने अभी कोई कार्रवाई नहीं है।

By Akash DwivediEdited By: Published: Sat, 03 Jul 2021 08:05 AM (IST)Updated: Sat, 03 Jul 2021 08:05 AM (IST)
Special on Plastic Bag Free Day : कानून में क्या रखा है, पब्लिक है कि मानती नहीं, रोज तोड़ रही नियम-कायदे
दुकान से सामान लेना है तो पालीथिन ही चाहिए

कानपुर, जेएनएन Special on Plastic Bag Free Day : 50 माइक्रोन से नीचे की पालीथिन का प्रयोग प्रतिबंधित है। इस कानून को बने करीब पांच साल होने जा रहे हैं। सरकार के साथ साथ जिला प्रशासन की ओर से इस पांच सालों में कई बार पालीथिन के खिलाफ अभियान शुरू किया गया। हर बार लगा कि इस बार पालीथिन का अंत हो जाएगा, मगर धीरे-धीरे सब सामान्य हो गया और पहले से अधिक दोगुनी शक्ति के साथ पालीथिन का प्रकोप हम लोगों के सामने आकर खड़ा हो गया। अब तक इसके तहत कार्रवाई का अधिकार केवल नगर निगम को था, मगर अब कमिश्नरेट पुलिस को भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार मिल गया है। हालांकि पुलिस ने अभी कोई कार्रवाई नहीं है। इन सबके बीच एक बड़ा सवाल यह है कि तमाम प्रयासों के बाद पब्लिक कानून को मानने को तैयार नहीं है। उसे भी दुकान से सामान लेना है तो पालीथिन ही चाहिए।

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यह आंकड़े क्या कह रहे हैं : नगर निगम के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2020 में एक जनवरी से 31 दिसंबर के बीच 22,394 किलो प्रतिबंधित पालीथिन बरामद हुई। वहीं मौजूदा वर्ष में एक जनवरी से 30 जून यानी महज छह महीने में ही पिछले साल भी ज्यादा 22,736 किलो पालीथिन बरामद की जा चुकी है। अब कार्रवाई की सख्ती भी देख लीजिए। प्रतिबंधित पालीथिन पर जहां पिछले वर्ष 10.47 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया, वहीं पालीथिन अधिक होने के बाद भी इस वर्ष जुर्माना की राशि घटकर 7.35 लाख पर पहुंच गई।

हर काम पालीथिन में : प्रतिबंधित पालीथिन बंद क्यों नहीं रही। इस सवाल का जवाब हमने एक दुकानदार से पूछा तो उसने बताया कि आम लोगों की वजह से यह काूनन अब तक लागू नहीं हो सका, जबकि इसकी वजह से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। दुकान पर आने वाला कोई भी ग्राहक अपने साथ झोला नहीं लाता। उनकी पहली मांग होती है, पालीथिन और जब तक आम लोगों में बदलाव नहीं होगा, पालीथिन को बंद करना मुश्किल होगा।

दुकानदारों पर सख्ती, बनाने वाले कमा रहे मोटी रकम : नगर निगम केवल दुकानदारों पर सख्ती करता है, जबकि कभी भी पालीथिन बनाने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण विभाग और पुलिस भी प्रतिबंधित पालीथिन बनाने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। पनकी, फजलगंज, कल्याणपुर क्षेत्रों में प्रतिबंधित पालीथिन बनाने वाली करीब 50 छोटी फैक्ट्रियां हैं। सूत्रों का कहना है कि यहां से मोटी रकम जिम्मेदारों तक पहुंचती है, जिसकी वजह से उन पर कभी कार्रवाई नहीं होती। 


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