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Weather News Kanpur: ला नीना के सक्रिय होने से मौसम में उतार-चढ़ाव जारी, कुछ ही दिनों में पड़ने लगेगा कोहरा

एक दो दिन में पड़ सकता हल्का कोहरा। दिसंबर का गर्म होना तोड़ सकता रिकार्ड। विज्ञानियों के मुताबिक ठंडक जरूर कुछ कम है लेकिन फसलों और सब्जियों के लिहाज से उनकी देखभाल करना जरूरी है। ऐसे मौसम में कीटों और फफूंदी का हमला हो सकता है।

By ShaswatgEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 08:17 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 08:17 AM (IST)
Weather News Kanpur: ला नीना के सक्रिय होने से मौसम में उतार-चढ़ाव जारी, कुछ ही दिनों में पड़ने लगेगा कोहरा
एक या दो दिन में हल्का कोहरा पड़ सकता है।

कानपुर, जेएनएन। इस वर्ष दिसंबर में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में काफी कम उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। यह स्थिति तब बन रही है, जबकि ला नीना सक्रिय है। कैस्पियन सागर से ठंडी हवा आ रही हैं, लेकिन उनका रास्ता पश्चिमी विक्षोभ रोक दे रहा है। भारत ही नहीं अन्य देशों के मौसम विशेषज्ञ इस परिवर्तन के अध्ययन में जुट गए हैं। प्रारंभिक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला है कि नवंबर में एकदम से पारा नहीं गिरेगा। पश्चिमी विक्षोभ और अन्य मौसमी सिस्टमों के बनते रहने से यही हालात दिसंबर तक हो जाएंगे। हालांकि एक या दो दिन में हल्का कोहरा पड़ सकता है। शीत लहर चलने के आसार कम बन रहे हैं। 

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फसलों की करें देखभाल 

विज्ञानियों के मुताबिक ठंडक जरूर कुछ कम है, लेकिन फसलों और सब्जियों के लिहाज से उनकी देखभाल करना जरूरी है। ऐसे मौसम में कीटों और फफूंदी का हमला हो सकता है। इसकी वजह हवा में अधिक मात्रा में आर्द्रता का होना है। किसानों को एडवाइजरी जारी की जा रही है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि हवा में नमी की वजह से ठंडक बनी हुई है, लेकिन शीत लहर नहीं चल रही है। जम्मू कश्मीर और इससे सटे उत्तरी हिमाचल प्रदेश पर एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ भारत की ओर बढ़ रहा है। यह उत्तरी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सक्रिय है। इसके शुक्रवार या शनिवार तक भारत की सीमा के पास पहुंचने के आसार हैं। वहीं पहले वाले पश्चिमी विक्षोभ के असर से जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर बर्फ गिरने लगी है, जबकि कुछ क्षेत्रों में बारिश भी हो रही है। इस समय दक्षिण पूर्वी अरब सागर के ऊपर एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है, जबकि एक अन्य सिस्टम हिंद महासागर और दक्षिण पूर्वी बंगाल की खाड़ी के पास सक्रिय है। 

फसलों में हो सकता नुकसान 

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान के मुताबिक फसलों को नुकसान से बचाने के लिए प्रबंधन की आवश्यकता है। 

  • सिंचित दशा में गेहूं की बुआई के लिए तापमान अनुकूल है। पीबीडब्ल्यू 723, एचपीबीडब्ल्यू 01, डीबीडब्ल्यू 39, के 9107, के 1006 में से कोई इस्तेमाल कर सकते हैं। 
  •  सरसों की बुआई के 15 से 20 दिन के अंदर निराई गुड़ाई करके पौधों की आपस की दूरी 10-15 सेंटीमीटर कर लें। फसल में आरा मक्खी और बालदार सुंडी कीट का हमला हो सकता है।
  •  चने की फसल में कटवर्म कीट का प्रकोप दिखाई देने की आशंका है। कृषि विशेषज्ञों की सलाह से दवा का छिड़काव करें। 
  •  आलू में झुलसा रोग लगने की आशंका है। कटवर्म कीट का हमला भी हो सकता है। 
  •  पपीते और केले की पौधों की रोपाई करना शुरू कर दें। 
  •  आम में पत्ती काटने वाले कीट के हमले की आशंका है। 

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