बिन सीओपी नंबर नहीं डाल पाएंगे वोट
जागरण संवाददाता, कानपुर : यूपी बार काउंसिल के चुनाव में मतदाता सीओपी (सर्टिफिकेट ऑफ प्ले
जागरण संवाददाता, कानपुर : यूपी बार काउंसिल के चुनाव में मतदाता सीओपी (सर्टिफिकेट ऑफ प्लेस, प्रैक्टिस) नंबर के बिना मतदान नहीं कर सकेंगे। शनिवार को एडवोकेट जनरल ने इस बावत निर्देश जारी कर दिए हैं। बता दें यूपी बार काउंसिल से भेजे गए आइडी कार्डो में सीओपी नंबर दर्ज नहीं है।
यूपी बार काउंसिल ने बीते वर्ष वकालत करने वाले वकीलों से प्लेस ऑफ प्रैक्टिस का फार्म भरवाया था। यूपी बार काउंसिल अब इन अधिवक्ताओं को आइडी कार्ड जारी कर रहा है जो पांच वर्ष के लिए है। इस पर सीओपी नंबर भी पड़ा है। अधिवक्ताओं की माने तो ज्यादातर में सीओपी नंबर नहीं दिया गया है। ऐसे में वह वोट नहीं दे पाएंगे। उधर, बार काउंसिल चुनाव को लेकर सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी ने डीजीसी क्रिमिनल को जरुरत के मुताबिक प्रचार सामग्री उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। चुनाव अधिकारियों के परिचय पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। परिचय पत्र कई रंगों में रखे गए हैं। इन रंगों के आधार पर ही मतदान स्थल पर चुनाव अधिकारियों की तैनाती होगी। आठ बूथ बनाए जाएंगे। डीजीसी क्रिमिनल संतोष यादव ने बताया कि मतदान सूची में नाम या फोटो में त्रुटि है लेकिन आइडी कार्ड में सीओपी नंबर पड़ा है तो मतदान कराना या न कराना उनके विवेक पर होगा। उन्होंने बताया कि सोमवार को एल्डर्स कमेटी, बार और लायर्स पदाधिकारी, एडीजीसी और अनुभवी अधिवक्ताओं के साथ संयुक्त बैठक होगी।
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डीजीसी कार्यालय में चुनाव पर चर्चा
यूपी बार काउंसिल के रिटर्निग आफीसर से मिली चुनाव कराने की जिम्मेदारी के बाद डीजीसी क्रिमिनल कार्यालय में बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। अभी तक कानूनी किताबें देखकर मुकदमे की पैरवी में जुटे एडीजीसी अब चुनाव आचार संहिता और चुनाव प्रबंधन का पाठ पढ़ रहे हैं। बार और लायर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों, एल्डर्स कमेटी और संस्थाओं के चुनाव में हिस्सा लेने वाले वकीलों से मतदान के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां, चुनौतियां और समस्याओं पर चर्चा हो रही है। दरअसल डीजीसी क्रिमिनल के लिए यह पहला ऐसा मौका है जब यूपी बार काउंसिल जैसा बड़ा चुनाव उनके जिम्मे आन पड़ा है। ऐसे में चिंता की लकीरें भी उनके माथे पर रह-रहकर बल देती हैं। अब सीओपी नंबर बिना वोट न देने की नए निर्देश से भी उनकी परेशानी बढ़ सकती है हालांकि एडवोकेट जनरल ने प्रशासन और पुलिस को कार्यवाही की खुली छूट दे दी है।