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आइआइटी कैंपस में सोलर ई-रिक्शा से सैर, बैट्री चार्ज नहीं तो पैडल से भी चला सकते Kanpur News

छात्रों व आगंतुकों की आवाजाही के लिए दी गई हरी झंडी टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने के लिए विशेषज्ञ करेंगे शोध।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 11:16 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 10:19 AM (IST)
आइआइटी कैंपस में सोलर ई-रिक्शा से सैर, बैट्री चार्ज नहीं तो पैडल से भी चला सकते Kanpur News
आइआइटी कैंपस में सोलर ई-रिक्शा से सैर, बैट्री चार्ज नहीं तो पैडल से भी चला सकते Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के वातावरण को सौ फीसद ईको फ्रेंडली बनाने के साथ छात्रों एवं आगंतुकों के आवागमन के लिए परिसर में सोलर ई-रिक्शे चलाए जाएंगे। सोमवार से यह ई-रिक्शे चलने शुरू हो जाएंगे।

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इन ई-रिक्शों की खासियत है कि यह सौर ऊर्जा के अलावा बैट्री व पैडल के जरिए भी चल सकते हैं। यदि सूरज की रोशनी कम है और बैट्री पूरी तरह चार्ज नहीं हो पाई है तो पैडल से इसे खींचा जा सकेगा। ढलान पर पैडल व सौर ऊर्जा की संयुक्त शक्ति से इसे आसानी से खींच सकते हैं। सूर्य अस्त होने के बाद यह तीन से चार घंटे तक चल सकते हैं। ऊंचाई इतनी कम है कि उम्र दराज व्यक्ति भी इसमें आसानी से बैठ सकते हैं। इसमें 48 वोल्ट की चार बैट्री व 300 वॉट का सोलर पैनल लगा है। साधारण ई-रिक्शा की कीमत एक लाख 25 हजार रुपये होती है, जबकि इसकी कीमत महज 68 हजार रुपये है। अभी आइआइटी दिल्ली के कैंपस में ये ई-रिक्शे चल रहे हैं।

कंपनी ने पांच रिक्शे सौंपे, इतने ही और मिलेंगे

भारत सरकार के विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान के अंतर्गत आने वाले सेंट्रल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कंपनी ने संस्थान को ऐसे पांच सोलर ई-रिक्शे प्रदान किए हैं। कंपनी जल्द ही ऐसे पांच और ई-रिक्शे देगी। शनिवार को कंपनी के चेयरमैन बीएन सरकार ने निदेशक प्रो. अभय करंदीकर को ई-रिक्शे सौंपे। अब संस्थान इसके मैकेनिज्म पर शोध करके इसकी क्षमता बढ़ाएगा। इस दौरान आइआइटी के मोटर ट्रांसपोर्ट सेक्शन के प्रभारी प्रो. शलभ के अलावा कंपनी के पदाधिकारियों में पंकज मल्होत्रा, अतुल भार्गव, अनिल महाजन व मनोज शर्मा मौजूद रहे।

खर्च का 15 फीसद सौर विद्युत निर्माण करता है आइआइटी

आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि ऊर्जा को संरक्षित करने की चुनौती पर वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं। आइआइटी अपने कैंपस में प्रतिवर्ष खर्च होने वाली बिजली का 15 फीसद उत्पादन सौर ऊर्जा से कर रहा है। संस्थान में प्रति माह 10.3 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है जबकि सौर ऊर्जा से दो मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। भविष्य में इसका उत्पादन बढ़ाया जाएगा। 


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