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Vikas Dubey Encounter: मुठभेड़ की आशंका पर रात में सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका

दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की कानपुर में पुलिस के साथ एनकाउंटर में मौत से पहले उसकी एनकाउंटर की आशंका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 01:59 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 06:33 PM (IST)
Vikas Dubey Encounter: मुठभेड़ की आशंका पर रात में सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका
Vikas Dubey Encounter: मुठभेड़ की आशंका पर रात में सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका

नई दिल्ली, जेएनएन। दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की कानपुर में पुलिस के साथ एनकाउंटर में मौत से पहले उसकी एनकाउंटर की आशंका को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। इस याचिका में उसके पांच सहयोगियों की उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत की जांच के लिए आदेश देने की मांग की गई थी, जो दो जुलाई की रात कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल थे। याचिकाकर्ता ने दुबे की मुठभेड़ हत्या की आशंका भी व्यक्त की थी और मामले की सीबीआइ जांच की मांग की थी। वकील और याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए गुरुवार को याचिका दायर की थी।

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इसके कुछ घंटों बाद शुक्रवार को कानपुर के रास्ते में एसटीएफ अधिकारियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुबे की मौत हो गई। उज्जैन में मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसे  यूपी पुलिस व एसटीएफ टीम आज कानपुर ला रही थी। जानकारी के अनुसार इस दौरान पुलिस का वाहन दुर्घटना ग्रस्त होकर पलट गया। तभी विकास ने पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया। 

याचिका में समाचार चैनलों पर बहस का हवाला दिया गया

याचिका में समाचार चैनलों के बहस का हवाला देकर कहा गया कि दुबे ने खुद को उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने से बचने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस के हाथों गिरफ्तार हुआ। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि एक बार यूपी पुलिस की हिरासत में आने के बाद विकास दुबे भी अन्य सह-अभियुक्तों की तरह एनकाउंटर में मारा जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया कि मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा आरोपी को मारना कानून के खिलाफ है, यह मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है और यह देश के तालिबानीकरण से कम नहीं है। 

पुलिस के पास आरोपी को मारकर उसे दंडित करने का अधिकार नहीं

याचिका में इसके अलावा यह कहा गया कि अभियुक्त या अपराधी को उसके अपराध सिद्ध होने के बाद दंडित करना, सक्षम न्यायालय का कार्य है। पुलिस के पास अपराध सिद्ध होने से पहले मुठभेड़ के नाम पर आरोपी को मारकर उसे दंडित करने का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से विकास दुबे का घर, शॉपिंग मॉल व गाडियां तोड़ने के मामले में एफआइआर दर्ज करने का निर्देश देने मांग की थी। साथ ही उसके पांच उन्य साथियों के मुठभेड़ में मौत की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की गई थी। 


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