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UPPCS Mains Result 2018 : घर-घर दूध बेचकर बेटे को पढ़ाया, पीसीएस बना तो आंखों से थम नहीं रहे आंसू

यूपीपीसीएस में चौथी रैंक लाने वाले जालौन के एक छोटे से गांव में रहने वाले विपिन ने साबित कर दिया है कि मेहनत और लगन से मुकाम को हासिल करना मुश्किल नहीं है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 06:37 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 09:27 AM (IST)
UPPCS Mains Result 2018 : घर-घर दूध बेचकर बेटे को पढ़ाया, पीसीएस बना तो आंखों से थम नहीं रहे आंसू
UPPCS Mains Result 2018 : घर-घर दूध बेचकर बेटे को पढ़ाया, पीसीएस बना तो आंखों से थम नहीं रहे आंसू

जालौन, जेएनएन। UPPCS Mains Result 2018 में जालौन के एक छोटे से गांव में रहने वाले विपिन ने चौथी रैंक हासिल करके न सिर्फ जनपद का गौरव बढ़ाया है बल्कि प्रदेश की भी लाज रखी है। यूपीपीसीएस रिजल्ट के टॉप फाइव में दो हरियाणा, एक बिहार और उत्तर प्रदेश के दो टॉपरों में विपिन ने अपना नाम दर्ज कराया है। गांव में रहने वाले पिता की आंखों से खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, जबसे उन्होंने विपिन की सफलता की खबर मिली है। उनकी जुबां पर बस एक ही बात है कि घर-घर दूध बेचकर मुश्किलों को सामना करके जिस बेटे को पढ़ाया, उसने आज सारे अरमान पूरे कर दिए हैं। 

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जालौन के कोंच तहसील के छोटे से गांव अमीटा में रहने वाले चेतराम और उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। बेटे विपिन के पीसीएस टॉपर हाेने पर दोपहर बाद से घर में बधाई देने वालों का तांता लगा है। वह कहते हैं कि बहुत संघर्षों के बाद यह दिन देखने काे मिला है। विपिन नौकरी तो कर रहा है लेकिन उसे बड़ा अफसर बनने की सपना पाले थे, जो अब पूरा हुआ है। आर्थिक संकट के दिनों को याद करते हुए वह बताते हैं कि जब गांव के दूसरे लोग अपने बच्चों को मोटरसाइकिल पर बिठाकर स्कूल छोड़ने जाते थे तब हम साइकिल पर दूध लादकर बेचने जाते थे।

साइिकल पर लोहे के पीपों पर बोरा बिछाकर बच्चों को बिठाकर स्कूल ले जाते थे। छुट्टी होने के बाद दोनों बेटे स्कूल के पास दुकान के बाहर बैठकर मेरा इंतजार करते थे। दूध बेचने के बाद लौटते हुए डिब्बे धोकर उन्हें फिर बिठाते और घर लाते थे। दूध बेचकर बच्चों को पढ़ाया और परिवार पाला है, डबडबाई आंखों से वह बोले, हमारी परेशानी तो दूर, हमारे बच्चे (विपिन) ने भी बहुत संघर्ष किया। उसकी मेहनत अब सफल हुई है और परिवार का नाम रोशन किया है। पत्नी कुसमा देवी ने हर कदम उत्साह बढ़ाया और संकट के समय धैर्य नहीं खोया।

आठवीं तक सरस्वती विद्या मंदिर में की पढ़ाई

पीसीएस में चौथी रैंक हासिल कर विपिन ने साबित कर दिया है कि सफलता सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। विपिन ने 8वीं तक की पढ़ाई एट के सरस्वती विद्या मंदिर और हाईस्कूल कोंच के आरआरपी इंटर कालेज से पास किया। इसके बाद उरई के सरस्वती विद्या मंदिर सें दाखिला लिया और वर्ष 2006 में प्रथम श्रेणी में इंटरमीडिएट पास किया। मौजूदा समय में भोपाल में एसबीआई के असिस्टेंट ऑडिट आॅफीसर के पद पर तैनात विपिन ने फोन पर बताया कि उनका सपना सिविल सर्विस में जाने का था। किसान परिवार से होने की वजह से घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह बाहर जाकर तैयारी कर पाते।

वर्ष 2008 में एयरफोर्स की परीक्षा क्वालीफाई की लेकिन मेडिकल में बाहर हो गए। वर्ष 2013 में एसएससी क्वालीफाइ करके एसबीआई में कैशियर के पद पर नियुक्ति हुई। पहली पोस्टिंग मध्य प्रदेश के पन्ना शहर में हुई और प्रमोशन मिलने पर असिस्टेंट आॅडिट आफीसर के पद पर एजी कार्यालय भोपाल में तैनाती मिली। नौकरी तो मिली पर सपने अभी बाकी थे और सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी, जिसमें मित्र आलोक कुमार ने पूरी मदद की। नौकरी करने के बाद पांच घंटे सेल्फ स्टडी करते रहे।

दो दिन पहले ही गए थे भोपाल

छोटे भाई सुनील ने बताया कि हमारी तबीयत खराब होने पर विपिन भइया देखने आए थे और दो दिन पहले ही भोपाल गए हैं। उनके साथ में छोटी बहन प्रियंका भी गई है, वह भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं और कैट में चयन हो गया है। पिता के साथ खेती किसानी में मदद करने वाले सुनील कहते हैं कि विपिन की शादी बीती 22 फरवरी को ग्वालियर में रहने वाली आरती से हुई है। सबसे छोटा भाई चंदन शिवहरे कालपी के हासा में लेखपाल हैं, संयुक्त परिवार में अब हर तरह की खुशहाल है।


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