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पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर ज्ञानेंद्र पाण्डेय UP रणजी ट्राफी टीम के कोच नियुक्त, दोबारा मिली बागडोर

Gyanendra Pandey उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव यूपीसीए सचिव युद्धवीर सिंह ने बताया कि रणजी ट्राफी में पेशेवर कोच रखने के बाद भी टीम के लगातार गिरते प्रदर्शन को देखते काफी दिनों से ज्ञानेंद्र पाण्डेय को फिर से कोच बनाने पर विचार कर रहे थे। अब मौका आ गया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 10:08 PM (IST)
ज्ञानेंद्र पांडेय की कप्तानी में उप्र टीम वर्ष 1998 उपविजेता बनी थी

कानपुर, जेएनएन। अपनी कप्तानी में उत्तर प्रदेश की रणजी क्रिकेट टीम को 1997-98 में बीस वर्ष बाद फाइनल में पहुंचाने के बाद कोचिंग में 2007-08 तथा 2008-09 में टीम को खिताब की दहलीज पर लाने वाले ज्ञानेंद्र पाण्डेय उत्तर प्रदेश को फिर पुराना मुकाम दिलाने को बेताब हैं। बीबीसीआई की जूनियर चयन समिति में अपने कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के नौ क्रिकेटरों को जूनियर इंडिया टीम में जगह दिलाने में सफल रहे ज्ञानेंद्र पाण्डेय को उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने एक बार फिर रणजी टीम का कोच नियुक्त किया है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) के सचिव युद्धवीर सिंह ने इसकी जानकारी दी। 

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उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव यूपीसीए सचिव युद्धवीर सिंह ने बताया कि रणजी ट्राफी में प्रदेश के बाहर के पेशेवर कोच रखने के बाद भी टीम के लगातार गिरते प्रदर्शन को देखते हुए एसोसिएशन के पदाधिकारी काफी दिनों से ज्ञानेंद्र पाण्डेय को फिर से उत्तर प्रदेश सीनियर टीम का कोच बनाने पर विचार कर रहे थे। अब यह मौका आ गया है।

ज्ञानेंद्र के साथ सहायक के रूप में उनकी कप्तानी में खेले परविंदर सिंह सहायक कोच की भूमिका निभाएंगे। इनके साथ ट्रेनर के रूप में आसिफ जफर, फिजियोथेरेपिस्ट परवेज भाटी, वीडियो एनालिस्ट सुधीर सिंह, स्पोर्ट्स मसाज मसाजर मसाजर दीपक कुमार व योगा इंस्ट्रक्टर राहुल सिंह रहेंगे।

ज्ञानेंद्र पाण्डेय ने क्रिकेट का ककहरा लखनऊ के बाद कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय के हास्टल में सीखा। 1988-89 में वह भारत की अंडर-19 टीम के साथ पाकिस्तान दौरे पर गए थे। बांए हाथ के स्पिन गेंदबाज के रूप में प्रथम श्रेणी क्रिकेट की 1989 में शुरुआत करने वाले ज्ञानेंद्र बेहतरीन आलराउंडर के रूप में स्थापित हुए। उनको 1996-97 में उत्तर प्रदेश की रणजी टीम का कप्तान बनाया गया। उनके नेतृत्व में टीम ने 1997-98 में मुम्बई को मुम्बई में हराकर रणजी ट्राफी फाइनल में जगह बनाई। इसके बाद से उत्तर प्रदेश का क्रिकेट ग्राफ ऊपर उठता गया। मोहम्मद कैफ, ज्ञानेंद्र पाण्डेय, सुरेश रैना, आरपी सिंह, पीयूष चावला, प्रवीण कुमार तथा सुदीप त्यागी के बाद भुवनेश्वर कुमार ने टीम इंडिया में जगह बनाई। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भरोसा है कि उत्तर प्रदेश रणजी टीम के क्रिकेटरों को ज्ञानेंद्र के अनुभव का विशेष लाभ मिलेगा।

रणजी से तय किया भारतीय टीम तक का सफर

ज्ञानेंद्र पांडेय की कप्तानी में उप्र टीम वर्ष 1998 उपविजेता बनी थी। उन्होंने ग्रीनपार्क के क्रिकेट हॉस्टल से अपने क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत की थी। उन्होंने भारतीय टीम के लिए दो वनडे खेले हैं। 24 मार्च 1999 को जयपुर में पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान बना चुके थे। बाएं हाथ से बल्लेबाजी और स्पिन गेंदबाजी करने वाले ज्ञानेंद्र ने 117 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में 5348 रन और 165 विकेट लिए हैं। ज्ञानेंद्र ने अंडर-19 विश्व कप विजेता टीम के चयन में अहम भूमिका निभाई थी। उनका उप्र रणजी टीम के खिलाडिय़ों से बेहतर तालमेल रहा है।

एक लक्ष्य : टीम रणजी की प्रमुख दावेदार बने

ज्ञानेंद्र पाण्डेय ने बताया कि वह वर्ष 2006 से 2010 तक उत्तर प्रदेश रणजी टीम के के कोच थे। तब उत्तर प्रदेश की टीम में मोहम्मद कैफ, सुरेश रैना, प्रवीण कुमार, आरपी सिंह, पीयूष चावला व भुवनेश्वर कुमार जैसे खिलाड़ी रहे। जिन्होंने बेहतर प्रदर्शन कर उत्तर टीम को रणजी ट्रॉफी के साथ देवधर ट्रॉफी व दलीप ट्रॉफी में साबित किया था। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों के साथ रणनीति बनाकर आगामी मैचों की तैयारियों पर फोकस रहेगा। लक्ष्य रहेगा कि उत्तर प्रदेश की टीम इस बार खिताब की प्रमुख दावेदार बने।

रणजी ट्रॉफी में उप्र के सफल कप्तान

वर्ष      स्थान             कप्तान

1940  उपविजेता       एफई पालिया

1978  उपविजेता       मोह.शाहिद

1998  उपविजेता       ज्ञानेंद्र पांडेय

2006  विजेता           मोहम्मद कैफ

2008  उपविजेता       मोहम्मद कैफ

2009  उपविजेता       मोहम्मद कैफ।


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