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आइपीएस की दृढ़ इच्छाशक्ति से कोरोना ने मानी हार, घर पर ही पूरे परिवार को दिलाई संक्रमण से निजात

कानपुर में एडिशनल डीसीपी क्राइम का कहना है कि वैक्सीनेशन का सुरक्षा चक्र और हिम्मत से कोरोना को मात आसानी से दी जा सकती है। उन्होंने पत्नी तीन महीने का बेटा और सास व ससुर और खुद के संक्रमित होने के बाद सभी को कोरोना से मुक्ति दिलाई।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 11:55 AM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 11:55 AM (IST)
कानपुर के एडिशनल डीसीपी क्राइम समेत परिवार हुआ था संक्रमण का शिकार।

कानपुर, जेएनएन। शहर में तेज तर्रार और गंभीर अफसरों में गिनती वाले एक आइपीएस पर कोरोना का हमला हुआ तो उन्होंने खुद के साथ पूरे परिवार को संभाला। तीन माह के बेटे में संक्रमण बढ़ने पर वह टूटे नहीं, उसके साथ सभी की देखभाल करते हुए न सिर्फ परिवार बल्कि खुद को भी संक्रमण से मुक्त कराया। उनके जज़्बे और दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे अाखिर कोरोना हार गया। कोरोना को हराने वाले कानपुर के एडिशनल डीसीपी क्राइम दीपक भूकर कहते हैं कि कोरोना के खौफ को वैक्सीन और इच्छाशक्ति से मात दिया जा सकता है। पूरे परिवार सहित कोरोना संक्रमित होने के बाद मेरा यही अनुभव है।

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उनके मुताबिक, 15 अप्रैल को सबसे पहले मेरी पत्नी, तीन महीने का बेटा और सास व ससुर एक साथ संक्रमित पाए गए। जांच हुई तो डॉक्टरों ने बेटे को लेकर दिल में डर भर दिया। उसके चेस्ट में कुछ संक्रमण बढ़ गया था। ऐसा लगा कि सभी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ेगा, मगर मैने फैसला किया सभी को होम आइसोलेशन में रखकर डॉक्टर की सलाह से काम करूंगा। हालात ऐसे थे कि बेटे को मुझ़े अपने साथ ही रखना पड़ता था, क्योंकि उसकी देखरेख पत्नी नहीं कर पा रही थी। गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही थी कि इसी बीच मुझे समस्याएं होनी शुरू हुई और 22 अप्रैल को मैं भी संक्रमित आ गया। मेरी हालत भी शुरूआत में तेजी से बिगड़ी, मगर मैने फैसला कर लिया था कि खुद को घर पर ही रखकर इलाज करूंगा। पूरा घर सामान्य होने में करीब 20 दिन लगे।

असल में कोरोना को जीतने के लिए दिल में जज्बा होना बेहद जरूरी है। ज्यादा पैनिक बढऩे से आक्सीजन लेवल पर बुरा असर पड़ता है। दवाओं के अलावा सुबह उठकर योगा, दिन में दो से तीन बार ब्रीथिंग एक्सरसाइज और दो से तीन बार रोजाना भाप लेना मैने नहीं छोड़ा। सबसे खास बात कि इस दौरान बुखार के कारण स्वाद चला गया था, मगर मैने स्वयं की और परिवार वालों की डाइट कम नहीं होने दी। मैने वैक्सीन के दोनों डोज ले लिए थे, इसीलिए हालत खराब होने के बाद भी वैक्सीन ने मुझे नया जीवन दिया। इसलिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है।


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