Move to Jagran APP

Rakesh Sachan News : आत्मसमर्पण के बाद भी नहीं कम होंगी मुसीबतें, अपील के लिए है 15 दिन की जमानत पर रिहाई

Rakesh Sachan News यूपी सरकार में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान को अवैध असलहा मामले में कोर्ट में सरेंडर करने के बाद 15 दिन की जमानत अपील के लिए मिली है। वहीं अभी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं क्योंकि पुलिस कोर्ट से प्राप्त पत्र की जांच कर रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 03:47 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 03:47 PM (IST)
यूपी के एमएसएमई मंत्री Rakesh Sachan की अभी मुश्किलें कम नहीं।

कानपुर, जागरण संवाददाता। Rakesh Sachan News : एमएसएमई मंत्री राकेश सचान द्वारा दोष सिद्ध किए जाने के बाद आदेश की पत्रावली लेकर फरार होने के मामले में सोमवार को उन्होंने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। अदालत ने उन्हें एक साल की सजा और डेढ़ हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

loksabha election banner

आत्मसमर्पण करने के बाद भी मंत्री राकेश सचान की मुसीबतें कम नहीं होने जा रही हैं। संयुक्त पुलिस आयुक्त ने स्पष्ट कर दिया है कि शनिवार की घटना का सोमवार के घटनाक्रम से कोई लेना देना नहीं है। पुलिस जांच कर रही है और शिकायती पत्र मिलने के सात दिनों के अंदर पुलिस को फैसला लेना होगा कि मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा या नहीं।

अपील के लिए मिली 15 दिन की जमानत

31 साल पुराने अवैध असलहा मामले में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग) मंत्री राकेश सचान Rakesh Sachan ने सोमवार को एसीएमएम (अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट) तृतीय आलोक यादव की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। उन्हें एक साल कैद और 15 सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। सजा सुनाए जाने के दौरान मंत्री डेढ़ घंटा न्यायिक हिरासत में रहे। सजा की अवधि तीन साल से कम होने के चलते उन्हें सत्र न्यायालय में अपील के लिए 15 दिन की मोहलत देते हुए जमानत दी गई है।

क्या रहा घटनाक्रम

राकेश सचान Rakesh Sachan के खिलाफ 13 अगस्त, 1991 को आर्म्स एक्ट के तहत नौबस्ता थाने में मामला दर्ज किया गया था। एसीएमएम तृतीय की अदालत ने छह अगस्त को मंत्री को दोषी करार दे दिया। इसके बाद उन्हें सजा के बिंदु पर सुना जाता, लेकिन वह कोर्ट से अचानक गायब हो गए। देर शाम उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस को पत्र भेजा गया, जिसमें आदेश की मूल प्रति ले जाने का आरोप लगाया गया और गैर जमानती वारंट जारी किया गया।

दो दिन बाद किया सरेंडर

दो दिन बाद सोमवार को मंत्री राकेश सचान की ओर से अधिवक्ताओं ने अदालत में दो प्रार्थना पत्र दिए। पहला प्रार्थना पत्र आत्मसमर्पण का जबकि दूसरा प्रार्थना पत्र तुरंत सुनवाई कराने का था। अनुमति मिलने के बाद दोपहर दो बजे राकेश सचान कड़ी सुरक्षा में अदालत पहुंचे। अदालत ने पूछा तो उन्होंने बताया कि हां मै हाजिर हूं। इसके बाद उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लिया गया और अधिवक्ताओं को सजा के बिंदु पर अपनी दलीलें रखीं।

अधिवक्ताओं ने रखीं ये दलीलें

अधिवक्ताओं ने कहा कि शनिवार को मंत्री UP MSME Minister अदालत आए थे लेकिन अचानक नोजिया (उल्टी महसूस होना) की शिकायत हुई तो अधिवक्ता को सूचित कर चले गए। दूसरे दिन समाचार पत्रों से जानकारी के बाद वह कोर्ट में आत्मसमर्पण करने आए हैं। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि मंत्री के राजनीतिक और सामाजिक जीवन को द्दष्टिगत रखते हुए कम से कम सजा दी जाए।

न्यायालय ने मंत्री को एक वर्ष साधारण कारावास और 1500 रुपये जुर्माने से दंडित किया। जुर्माना अदा न करने पर मंत्री को एक माह की सजा और काटनी होगी। सत्र न्यायालय में अपील के लिए जमानत की मांग को अदालत ने स्वीकार कर लिया। जमानत मिलने के बाद उन्हें कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में बाहर ले जाया गया।

सीआरपीसी की धारा 389 के तहत मिली जमानत

सीआरपीसी की धारा 389 में प्रविधान है कि तीन वर्ष से कम सजा होने पर आरोपित को अपील के लिए उसी कोर्ट से जमानत दे दी जाएगी। मंत्री राकेश सचान Rakesh Sachan के अधिवक्ताओं ने इसी के तहत प्रार्थना पत्र देते हुए कहा कि दोषसिद्धि आदेश की अपील दाखिल व अपीलीय न्यायालय से आदेश प्राप्त करने के लिए 15 दिनों की आवश्यकता है।

ऐसे में 15 दिनों के लिए रिहा करने की मांग कोर्ट से की गई जिस पर न्यायालय ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए 20-20 हजार के दो बंधपत्र और इतनी ही राशि के एक निजी मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए।

इन बिंदुओं पर पुलिस कर रही है जांच

  • प्रार्थना पत्र में संज्ञेय अपराध का होना स्पष्ट नहीं है ।
  • कोर्ट रीडर द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में दोषसिध्द होने तथा अधिवक्ता द्वारा निर्णय देखने हेतु पत्रावली ली गयी का तथ्य दिया गया है। ऐसे में जो पत्रावली ले जायी गई उसका विधिक भार क्या है। क्या वह गोपनीय दस्तावेज की श्रेणी में है।
  • प्रार्थना पत्र में स्पष्ट नही है कि मंत्री राकेश सचान न्यायिक अभिरक्षा में थे या नहीं ।
  • प्रार्थना पत्र में यह भी दिया गया है कि निर्णय की प्रति अधिवक्ता ने ली। इन परिस्थितियों में मंत्री की क्या स्थिति बनेगी।

एसीपी ने कहा- पत्र में स्थिति स्पष्ट नहीं

संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि पुलिस को अदालत की ओर से जो पत्र प्राप्त हुआ है, उससे मंत्री राकेश सचान के सोमवार के आत्मसमर्पण से कोई लेना देना नहीं है। अदालत ने दोष सिद्ध होने के बाद आदेश की पत्रावली लेकर फरार होने का आरोप लगाया है। चूंकि संज्ञेय अपराध के बारे पत्र में स्थिति स्पष्ट नहीं है, ऐसे में जांच हो रही है।

ललिता कुमार बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में पुलिस को जांच कर मुकदमा दर्ज करने का अधिकार है। सात दिनों के अंदर पुलिस को निर्णय लेना होगा। अगर मुकदमा दर्ज नहीं होगा तो वादी को लिखित रूप में बताना होगा कि किन कारणों से मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।

-निर्णय की मूल प्रति रिकंस्ट्रक्ट (दोबारा बनाया जाना) करने के बाद मंत्री का सरेंडर लिया गया। चूंकि उन्हें एक वर्ष कैद की सजा सुनाई गई थी, लिहाजा नियम के मुताबिक अपील करने के लिए जमानत दे दी गई है। -दिलीप अवस्थी, डीजीसी क्रिमिनल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.