कानपुर में स्कूलवार डाटाबेस लीक मामले की जांच कराएगा यूपी बोर्ड, सचिव ने संज्ञान लेकर दिया आदेश
डाटा कैसे लीक हुआ इस सवाल का किसी के पास जवाब नहीं। इस मामले में आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने कुछ दिन पहले कानपुर के एसएसपी को शिकायती पत्र भेजा था। इसमें रायपुरवा स्थित एक कंपनी के पास लाखों परीक्षार्थियों के डाटाबेस होने की बात का जिक्र किया गया था।
कानपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) प्रयागराज के 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों का डाटाबेस लीक होने के मामले में बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने जांच के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि ये बेहद गंभीर मामला है। बोर्ड से संबद्ध छात्रों का डाटा बोर्ड के पास होता है या फिर स्कूल में। ऐसे में लाखों छात्र-छात्राओं का डाटाबेस लीक होने की जांच गहनता से कराई जाएगी। दरअसल, इस मामले में आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने कुछ दिन पहले कानपुर के एसएसपी को शिकायती पत्र भेजा था। इसमें रायपुरवा स्थित एक कंपनी के पास लाखों परीक्षार्थियों के डाटाबेस होने की बात का जिक्र किया गया था। आरोप था कि कंपनी एक पिनकोड का डाटाबेस एक हजार रुपये, शहर का डाटाबेस 3500 रुपये व पूरा डाटाबेस 6500 रुपये में बेच रही। उन्होंने इसे आपराधिक कृत्य मानते हुए मुकदमा दर्ज करने की भी मांग की थी।
डाटा कैसे लीक हुआ, इस सवाल का जवाब नहीं
यूपी बोर्ड से संबद्ध लाखों छात्र-छात्राओं का डाटा लीक कैसे हुआ, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। बुधवार को बोर्ड अफसरों ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में संपर्क करके जानकारी लेने का प्रयास किया, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। वहीं, डीआइओएस कार्यालय से लेकर तमाम स्कूल संचालकों के बीच इस प्रकरण की चर्चा रही।
परीक्षार्थियों के पास आए थे फोन, अफसरों ने की लापरवाही
कई प्रधानाचार्य अब यह कह रहे हैं कि परीक्षार्थियों के पास पैसा देकर अंक बढ़ाने के लिए फोन आए थे। उसी समय विभागीय अफसरों को फोन करने वालों को ट्रेस करके कार्रवाई करानी चाहिए थी। इससे आसानी से डाटा लीक करने वालों को चिह्नित करके पकड़ा जा सकता था।