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जहानाबाद विधानसभा सीट : पांच बार सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम लड़े चुनाव, इस फ्लैश बैक में जीत-हार की कहानी

फतेहपुर की जहानाबाद विधानसभा सीट पर चुनावों में दलों की नहीं बल्कि हर बार चेहरों के बीच लड़ाई होती रही है। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पांच बार चुनाव लड़े तो भाजपा को कभी जीत ही नहीं मिल सकी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 01:52 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 01:52 PM (IST)
जहानाबाद विधानसभा सीट : पांच बार सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम लड़े चुनाव, इस फ्लैश बैक में जीत-हार की कहानी
फतेहपुर में खास है जहानाबाद विधानसभा सीट।

कानपुर, चुनाव डेस्क। फतेहपुर का जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र.... यहां छोटी काशी की पौराणिक कथा समेटे शिवराजपुर या फिर मुगल इतिहास बताने वाला खजुहा कस्बा है। इस क्षेत्र के मतदाताओं ने दलों को नहीं बल्कि चेहरों को ही देखकर वोट किया। जिले की यह ऐसी इकलौती सीट है, जहां कभी कमल नहीं खिला। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तर का यह क्षेत्र है, जहां से मंत्री जयकुमार जैकी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। फतेहपुर के जहानाबाद से गोविंद दुबे की खास रिपोर्ट...।

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जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर है शिवराजपुर गांव। जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा। इस सीट की राजनीतिक प्रकृति बहुत अलग है। हर चुनाव में यहां की राजनीति अंगड़ाई लेती है। गांव के मीरा के गिरधर गोपाल मंंदिर पर भक्तों का आना-जाना लगा है। मंदिर की चौखट पर जहां भक्ति के रंग हैं तो बाहर परिसर मेें अलाव के पास बैठे लोगों के बीच छिड़ी चुनावी चर्चा यहां के राजनीतिक रंग बताने को काफी है। गांव के दीपक बताते हैं, यहां किसी दल की नहीं चलती। चुनाव में लड़ाई चेहरों की होती है। जो जितना मजबूत, उसके पक्ष में ही जीत।

दीपक की इन बातों की पुष्टि जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में हुए चुनावों के परिणाम भी करते हैं। यहां किसी राजनीतिक दल का एकछत्र अधिकार नहीं रहा। इस क्षेत्र की जनता अधिकांश मौकों पर प्रतिनिधित्व का चेहरा बदल चुकी है। फिर चाहे सपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम रहे हों या तीन बार विधायक रहे मदन गोपाल वर्मा जैसा बड़ा नाम। मदन गोपाल की जगह जनता ने 2017 में अपना दल के जय कुमार जैकी पर भरोसा जताया, जो मंत्री हैं। दिलचस्प यह भी है कि भाजपा यहां कभी खाता नहीं खोल सकी।

दीपक विकास के सवाल पर बोले, काम तो कुछ हुआ ही है। पानी की टंकी बन गई, टोटी से पानी मिल रहा है। संदीप का कहना है, हम बचपन से यह सुनत आए कि शिवराजपुर पर्यटन स्थल बनी, दैखो , का कुछ बदला है। आगे बढ़े तो बाग में अलाव ताप रहे संधन मिश्रा पुराने मंदिरों का जिक्र कर कहते हैं, पर्यटन स्थल की चाहत पूरी होई जाए तो हम मान लैयब कि विकास होइगा। खजुहा कस्बे में औरंगजेब के बनवाए गए फाटक के पास अंगीठी से हाथ गर्म कर रहे व्यापारी चमन गुप्त कहते हैं कि खजुहा का इतिहास बहुत पुराना है। रामजानकी मंदिर की ओर इशारा करते हुए बताया कि कुछ काम तो हुआ है, लेकिन बहुत बदलाव की जरूरत है। वह बताते हैं, वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र की तस्वीर में बड़ा बदलाव आया है। शिवराजपुर, खजुहा समेत तकरीबन 30 गांव नए शामिल किए गए। परिसीमन के बाद विधानसभा क्षेत्र का परिदृश्य भले ही बदल गया हो लेकिन, समीकरणों में कोई बदलाव नहीं आया।

जाति समीकरण सबसे ज्यादा हावी : जहानाबाद की राजनीति में अगर चेहरों की लड़ाई है तो इसके पीछे जाति समीकरण भी बड़ी वजह है। शिवराजपुर गांव के ग्रामीणों में छिड़ी चर्चा से ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। विकास के सवाल पर शिवकुमार कुछ गुस्से में आकर कहते हैं, चुनाव के समय जब जाति देख के वोट देहों तो यही हाल रही। टेलरिंग की दुकान किए कैलाश बोले, विकास चाहत कौउन है, कबौ विकास ने नाम पर वोट मिला है का, चेहरा और जाति देखकर वोट मिलत है। इस चर्चा का इशारा यही था कि यहां चुनाव ब्राह्मण और कुर्मी जाति के उम्मीदवारों के आसपास सिमट जाता है।

समाजवाद की जड़ें नहीं हो पाईं मजबूत : वर्तमान में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की गृह विधानसभा होने के बाद भी यहां समाजवाद की जड़ें मजबूत नहीं रह पाईं। वर्ष 1985 में नरेश उत्तम लोकदल से चुनाव मैदान में थे लेकिन, कांग्रेस के प्रकाश नारायण अवस्थी के सामने टिक नहीं पाए। वर्ष 1989 में जनता दल से नरेश उत्तम विधानसभा पहुंचे और प्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल हुए। इसके बाद 1991, 1993 व 1996 के चुनाव में हारते गए। 2017 में अपना दल ने जयकुमार जैकी को प्रत्याशी बनाया तो सपा से खड़े मदन गोपाल को हार का सामना करना पड़ा। आजादी से अब तक हुए 15 बार के चुनाव में विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ व भाजपा को यह सीट कभी नहीं मिली। गठबंधन से मिली जीत के बाद भाजपा आगे की उम्मीदें संजो रही है।

यहां पर अब तक हुए विधायक

वर्ष - विधायक - दल

1962 - रामकिशोर- निर्दलीय

1967 - प्रेमदत्त तिवारी - कांग्रेस

1969 - उदित नारायण - बीकेडी

1974 - प्रेमदत्त तिवारी - कांग्रेस

1977 - कासिम हसन - जनता पार्टी

1980 - जगदीश नारायण - कांग्रेस

1985 - प्रकाश नारायण - कांग्रेस

1989 - नरेश उत्तम - जनता दल

1991 - छत्रपाल वर्मा - जनता दल

1993 - मदन गोपाल वर्मा - जनता दल

1996 - कासिम हसन - बसपा

2002 - मदन गोपाल वर्मा - सपा

2007 - आदित्य पांडेय - बसपा

2012 - मदन गोपाल वर्मा - सपा

2017 - जयकुमार जैकी - अपना दल


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