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Taj Mahal को लेकर UNO ने जताई चिंता, कानपुर और आगरा की मांगी प्रदूषण रिपोर्ट Kanpur News

विश्व के अजूबों में शामिल ताजमहल पर हानिकारक गैसों के दुष्प्रभाव की जांच की जाएगी।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 08:21 AM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 08:21 AM (IST)
Taj Mahal को लेकर UNO ने जताई चिंता, कानपुर और आगरा की मांगी प्रदूषण रिपोर्ट Kanpur News
Taj Mahal को लेकर UNO ने जताई चिंता, कानपुर और आगरा की मांगी प्रदूषण रिपोर्ट Kanpur News

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। उत्तर प्रदेश की प्रदूषित हवा को लेकर संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएनओ) भी गंभीर है। वहां के अधिकारी लगातार इस पर नजर रखे हैं। कानपुर की मॉनिटरिंग उसके सबसे अधिक दूषित होने के बदनुमा दाग की वजह से कराई जा रही है। यह दाग दो साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट से सार्वजनिक हुआ था, वहीं हानिकारक गैसों से विश्व के सातवें अजूबे ताजमहल के रंग-रूप में बदलाव को लेकर चिंतन शुरू हुआ है। अधिकारियों ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से कानपुर और आगरा की वायु गुणवत्ता रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में सीपीसीबी ने बाहर से आने वाली हवा की मॉनिटरिंग के लिए आइआइटी कानपुर से मदद मांगी है। दोनों संस्थाओं के बीच वायु गुणवत्ता आकलन पर करार हो चुका है। इसकी अवधि एक साल तक रहेगी, लेकिन जांच आगे तक चलेगी।

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पहली बार यूएनओ ने जताई चिंता

भारत में वायु प्रदूषण गंभीर समस्या है। कई शहरों में स्थिति बहुत भयावह है। सांस और दमे के रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन यह पहली बार है जब वायु प्रदूषण पर यूएनओ ने चिंता जताई है। उसके यूनाइटेड नेशन इनवायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) के अधिकारी वैलेनटीन पिछले दिनों सीपीसीबी अफसरों से मिल चुके हैं।

दिल्ली की बैठक में बनेगी रणनीति

नई दिल्ली में 15 सितंबर से पहले आइआइटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग, इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग, सीपीसीबी, यूपीपीसीबी और यूएनओ के अधिकारियों की बैठक प्रस्तावित है। इसमें मॉनिटरिंग की पूरी रणनीति तैयार होगी।

हवा की दिशा के आधार पर प्रदूषण रोकने की कवायद

आइआइटी सिविल इंजीनियरिंग के सीनियर प्रो. मुकेश शर्मा के मुताबिक अब हवा की दिशा के आधार पर पता लगाया जाएगा कि किस शहर से सबसे ज्यादा प्रदूषण आ रहा है। हवा के साथ ही पीएम 2.5, पीएम 10, सीओटू, एनओटू, एसओटू समेत अन्य गैसें शहर में प्रवेश करती हैं। इसके लिए विशेष मॉनिटरिंग सिस्टम की मदद ली जाएगी। मैथमेटिकल मॉडलिंग का प्रयोग होगा। इसी व्यवस्था को तय करने के लिए दिल्ली में बैठक होगी।


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