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अजब-गजब : कुत्ते की आई बारात और कुतिया से रचाई शादी फिर हुई विदाई, दो महंतों ने खुद को बताया समधी

हमीरपुर में पालतू कुत्ते की बारात की निकासी हुई फिर द्वारचार के बाद कुतिया से भावरें पड़ीं कलेवा के बाद विदाई भी की गई। ये अनोखी शादी हमीरपुर में दो महंतों ने कराई है और खुद को समधी बता रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 06 Jun 2022 08:15 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jun 2022 08:15 AM (IST)
अजब-गजब : कुत्ते की आई बारात और कुतिया से रचाई शादी फिर हुई विदाई, दो महंतों ने खुद को बताया समधी
महंत पालतू कुत्ते की बारात लेकर पहुंचे।

हमीरपुर, जागरण संवाददाता। अभी कुछ दिनों पहले एक खबर बहुत चर्चा में थी कि एक युवक ने खुद को कुत्ता बनाने के लिए बारह लाख रुपए खर्च किए थे। युवक की इस हरकत को उसका पालतू कुत्ते के प्रति बेहद प्यार भी बताया जा रहा था। अब ऐसे ही पालतू के प्रति प्यार की अजब गजब घटना हमीरपुर में सामने आई है। रविवार को हुई एक अनोखी शादी दिन भर चर्चा में रही।

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मनासर बाबा शिव मंदिर सौंखर के महंत द्वारिका दास और बजरंगबली मंदिर परछछ के महंत अर्जुन दास ने अपने पालतू कुत्ते कल्लू और कुतिया भूरी की शादी कराकर खुद को एक-दूसरे का समधी बताया। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार रस्में निभाई गईं। बाकायदा बरात की निकासी, द्वारचार, भांवरे, कलेवा और विदाई भी हुई।

सौंखर एवं सिमनौड़ी गांव के बीहड़ में मनासर बाबा शिव मंदिर है। यहां के महंत स्वामी द्वारिका दास महाराज हैं। उन्होंने अपने पालतू कुत्ते कल्लू का विवाह मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव के बजरंगबली मंदिर के महंत स्वामी अर्जुन दास महाराज की पालतू कुतिया भूरी के संग तय की थी। शादी शुभ मुहूर्त पर रविवार को हुई। दोनों महंतों ने अपने शिष्यों, शुभचिंतकों को कार्ड भेजकर विवाह समारोह में बुलाया। बरात मनासर बाबा शिव मंदिर से गाजे-बाजे के साथ निकली।

सौंखर गांव की गलियों में भ्रमण करके धूमधाम से निकासी कराई गई। इसके बाद मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव में बजरंगबली मंदिर के महंत ने बरात की अगवानी की। द्वारचार, चढ़ावा, भांवरों, कलेवा की रस्म पूरी कराकर बरात को ससम्मान विदा किया। दोनों को चांदी के जेवरात भी पहनाए गए। बरातियों के लिए कई तरह के व्यंजन तैयार कराए गए। बरात में दोनों पक्षों से तकरीबन 500 लोग शामिल हुए।

महंत द्वारिका दास ने बताया, बचपन से पाला है तो अब कुत्ता हमारे परिवार का सदस्य है। समाज को एक संदेश है कि सभी जीवों का महत्व है, जिनसे हमारे आत्मीय संबंध बन जाते हैं। वहीं, महंत अर्जुन दास ने कहा कि द्वारिका दास से उनकी काफी पुरानी मित्रता है। अब मित्रता को रिश्तेदारी में बदलने के लिए हमारा परिवार तो है नहीं। बस इन्हीं जीवों को बचपन से पाला। दोनों जीवों का विवाह करा मित्रता को रिश्ते में बदलकर समधी बन गए हैं।


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