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कानपुर के GSVM कालेज की विशेष निडिल अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के करीब, रतौंधी पर शोध के दौरान हुई थी तैयार

मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष ने वर्ष 2019 में रतौंधी के इलाज पर शोध किया था। इसमें मरीज के स्वयं के रक्त से तैयार प्लेटलेट््स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) का इंजेक्शन आंख के पर्दे (रेटिना) की नस से जुड़ी रोड और कोन सेल्स (कोशिकाओं) पर लगाया जाना था।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 07:10 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 09:39 AM (IST)
कानपुर के GSVM कालेज की विशेष निडिल अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के करीब, रतौंधी पर शोध के दौरान हुई थी तैयार
जीएसवीएम मेडिकल कालेज की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान के नाम जल्द बड़ी उपलब्धि जुडऩे वाली है। उनकी बनाई सुप्रा खोराइडल निडिल अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के करीब पहुंच गई है। देश-दुनिया के संस्थानों के विशेषज्ञों को पत्र लिखकर ऐसी निडिल के बारे में पूछा गया था। अब जवाब मिला है कि अमेरिका में इससे मिलती जुलती तीन निडिल पहले से हैं। नेत्र विभागाध्यक्ष से पूछा गया है कि आपकी निडिल अमेरिकन निडिल से अलग कैसे है। उन्होंने जवाब भेजने के साथ ही दावा किया है कि ऐसी निडिल दुनिया में अभी कहीं नहीं है, इसलिए इसका पेटेंट मिलना तय है।

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मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष ने वर्ष 2019 में रतौंधी के इलाज पर शोध किया था। इसमें मरीज के स्वयं के रक्त से तैयार प्लेटलेट््स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) का इंजेक्शन आंख के पर्दे (रेटिना) की नस से जुड़ी रोड और कोन सेल्स (कोशिकाओं) पर लगाया जाना था। इसमें समस्या यह थी कि दोनों नसें आंख के अंदरूनी तरफ होती हैं, जहां पहुंचना संभव नहीं था। बाजार में भी ऐसी कोई निडिल नहीं थी। इस समस्या को देखते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान ने पहल करते हुए विशेष प्रकार की निडिल का डिजाइन तैयार किया।

रेटिना के अंदरूनी हिस्से तक इंजेक्शन लगा सकते : प्रो. परवेज खान ने निडिल तैयार कराने के बाद उसके जरिए रेटिना के अंदरूनी हिस्से में पहुंच कर इंजेक्शन लगाने में कामयाबी पाई। उन्होंने इसका नाम सुप्रा खोराइडल निडिल 500-900 माइक्रो यूनिट रखा है।

इनका ये है कहना : 

रतौंधी के रिसर्च के दौरान निडिल तैयार की थी। पेटेंट के लिए दो साल पहले आवेदन किया था। पेटेंट से पहले दुनिया भर के संस्थानों से दावे के बारे में पूछा जाता है, जिसमें इससे मिलती जुलती तीन निडिल अमेरिका में मिली हैं। हालांकि, उनसे रेटिना के अंदरूनी हिस्से तक नहीं पहुंचा जा सकता है। पेटेंट से आए पत्र में पूछा गया था कि अमेरिकन निडिल से यह कैसे अलग है, जिसका जवाब भेज दिया है।  - प्रो. परवेज खान, विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।


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