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बेटियों को शिक्षित बनाने में उलमा निभाएंगे जिम्मेदारी

नए सत्र में अभियान चलाकर अभिभावकों को करेंगे जागरूक

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 04:01 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 04:01 AM (IST)
बेटियों को शिक्षित बनाने में उलमा निभाएंगे जिम्मेदारी
बेटियों को शिक्षित बनाने में उलमा निभाएंगे जिम्मेदारी

बेटियों को शिक्षित बनाने में उलमा निभाएंगे जिम्मेदारी

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- नए सत्र में अभियान चलाकर अभिभावकों को करेंगे जागरूक

-मस्जिदों से शिक्षा के महत्व पर होगी तकरीर, निकलेंगी रैलियां

-उलमा की बैठक में निर्णय, बेटियां शिक्षित तो बदलेगा समाज

जागरण संवाददाता, कानपुर : बेटियों को शिक्षित बनाने में उलमा जिम्मेदारी निभाएंगे। नए सत्र की शुरुआत में बेटियों को शिक्षित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। रैलियां व संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। उनको को धार्मिक शिक्षा के साथ स्कूल व कालेज में भी भेजने के लिए अभिभावकों को जागरूक किया जाएगा। उनको शिक्षा का महत्व समझाया जाएगा। मस्जिदों के इमाम भी शिक्षा पर तकरीर करेंगे। बेटियों को स्कूली भेजने की अपील करेंगे। जमीयत उलमा व आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल ने बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत स्कूल व कालेज के शिक्षकों का भी सहयोग लिया जाएगा।

बेटों के साथ बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए समाजसेवियों के साथ अब उलमा भी आगे आए हैं। बेटियों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए उलमा ने मंथन शुरू कर दिया है। इसको लेकर हाल ही में आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल के कार्यालय में बैठक भी हुई। बैठक के दौरान कहा गया कि बेटियां शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बनेंगी तो समाज पर भी इसका असर पड़ेगा। इस्लाम में भी मर्दों के साथ महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान देने पर जोर दिया गया है। निर्णय लिया गया कि नए सत्र से बेटियों को स्कूल भेजने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसमें अन्य मुस्लिम संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा ताकि व्यापक असर हो। बेटियों को स्कूल न भेजने वाले अभिभावकों को समझाया जाएगा। उनको शिक्षा का महत्व बताया जाएगा। जिन अभिभावकों की आर्थिक स्थिति कमजोर हैं, बेटियों की शिक्षित करने में उनकी मदद की जाएगी। इसके लिए स्कूल, कालेज के प्रबंधन से भी संपर्क शुरू कर दिया गया है।

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बेटी अगर शिक्षित होगी तो पूरा परिवार शिक्षित होगा। इसका असर समाज पर पड़ेगा। मुस्लिम समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ा है लेकिन अभी भी ऐसे लोगों की संख्या काफी है जो बेटियों को स्कूल नहीं भेजते है।

-हाजी मोहम्मद सलीस, महासचिव आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल

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