निर्माणाधीन जर्जर मकान की छत गिरने से दो की मौत
बर्रा-2 स्थित छेदी सिंह का पुरवा में मंगलवार दोपहर पुराने जर्जर मकान में निर्माण के दौरान छत भरभराकर ढह गई।
जागरण संवाददाता, कानपुर : बर्रा-2 स्थित छेदी सिंह का पुरवा में मंगलवार दोपहर पुराने जर्जर मकान में निर्माण के दौरान छत भरभराकर ढह गई। हादसे में 32 वर्षीय मकान मालिक अजय पाल और उनके साथी मजदूर 55 वर्षीय कन्हैया लाल की मौत हो गई। मौके पर पहुंचे एसीएम प्रथम व थाना पुलिस ने दोनों मृतकों के परिवार को सरकार से मुआवजा दिलाने का आश्वासन भी दिया।
पुलिस के मुताबिक अजय पाल मजदूरी करते थे। हाल ही में उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2.50 लाख रुपये मिले थे। भतीजे दीपक ने बताया कि तीन-चार दिन से चाचा मकान में निर्माण कार्य करवा रहे थे। मंगलवार सुबह उन्होंने क्षेत्र में किराये पर रहने वाले अपने साथी मजदूर कन्हैयालाल साहू को भी मकान की दीवार व छत तोड़ने के लिए बुला लिया था। दोपहर में छत पर चाहरदीवारी तोड़ने के बाद जब दोनों नीचे की दीवार ठीक करा रहे थे। तभी करीब दो बजे छत की चाहरदीवारी टूटी होने की वजह से छत तेज धमाके के साथ गिर पड़ी। इस दौरान चाचा अजय पाल और उनके साथी मलबे में दब गए। चीखपुकार व मलबा गिरने की आवाज पर बाहर मौजूद स्वजन घर के अंदर पहुंचे तो नजारा देखकर चीख पड़े। इलाके के लोगों ने मलबा हटाना शुरू किया। बर्रा पुलिस भी मौके पर पहुंची और पुलिस ने लोगों की मदद से करीब आधे घंटे मशक्कत के बाद मलबे के नीचे से अजय व कन्हैयालाल को बाहर निकाला और गोविदनगर स्थित निजी अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टर ने अजय को मृत घोषित कर दिया। कन्हैया को डॉक्टर ने एलएलआर अस्पताल (हैलट) भेजा, जहां उन्हें भी मृत घोषित कर दिया गया। जानकारी पर एसीएम प्रथम व पूर्व राज्यमंत्री सतीश पाल ने पहुंचकर दोनों परिवारों को सरकारी मदद दिलवाने का आश्वासन दिया। थाना प्रभारी सतीश सिंह ने बताया कि पुराने मकान में निर्माण कार्य कराते वक्त छत गिर पड़ी। इससे मकान मालिक व मजदूर साथी की मौत हुई है।
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बड़ा हादसा होने से टला
अजय के परिवार में पत्नी निशा, चार वर्षीय बेटी शिवानी, पिता मुन्ना लाल व मां रजनी हैं। पिता मुन्ना लाल ने बताया कि हादसे से 15 मिनट पहले ही बेटे ने सभी सदस्यों को घर के बाहर जाने को कहा। वे बाहर धूप में बैठे थे। उनकी पत्नी और बहू पड़ोस की महिलाओं से बात कर रही थीं तो पौत्री बच्चों के साथ खेल रही थी। गनीमत रही कि हादसे के वक्त परिवार बाहर था, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।